नारी निकेतन अधीक्षक वीना मीरचंदानी व संभाग स्तरीय कमेटी की अध्यक्ष पिंकी मांडावत ने दस्तावेज जांच के बाद सरपंच व पिता रमन रठवा को उनकी बेटी सुपुर्द की। सुमन को एकाएक सामने देख वे बिलख पड़े और बेटी ने भी पिता को पहचान लिया। नारी निकेतन ने पिछले वर्षों में महिला का एमबी चिकित्सालय में इलाज करवाया, जिससे वह अब काफी सामान्य हो गई।
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रतनगढ़ चूरू पहुंची, बीकानेर भी रही
सुमन मार्च 2011 में खजूरिया से भटकते-भटकते रतनगढ़ चूरू पहुंच गई। लावारिस घूमने पर लोगों ने उसे पुलिस थाने पहुंचाया। बाद में न्यायालय ने उसे बीकानेर स्थित नारी निकेतन भेज दिया। अगस्त 2०14 तक वह वहीं रही, परिजनों की तलाश के लिए पूरे राज्य में फोटो भी प्रसारित किए गए लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। उसके मुंह से सिर्फ उदयपुर निकलने से वहां के स्टाफ ने इसे उदयपुर जानकार यहां नारी निकेतन भिजवा दिया।
रतनगढ़ चूरू पहुंची, बीकानेर भी रही
सुमन मार्च 2011 में खजूरिया से भटकते-भटकते रतनगढ़ चूरू पहुंच गई। लावारिस घूमने पर लोगों ने उसे पुलिस थाने पहुंचाया। बाद में न्यायालय ने उसे बीकानेर स्थित नारी निकेतन भेज दिया। अगस्त 2०14 तक वह वहीं रही, परिजनों की तलाश के लिए पूरे राज्य में फोटो भी प्रसारित किए गए लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। उसके मुंह से सिर्फ उदयपुर निकलने से वहां के स्टाफ ने इसे उदयपुर जानकार यहां नारी निकेतन भिजवा दिया।
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जोड़ते गए हर शब्द को
उदयपुर में सुमन गुमसुम रहती थी। दो साल तक एमबी चिकित्सालय में उसका उपचार चला। सामान्य होने पर वह टूटे-फूटे शब्द बोलने लगी। अधीक्षक ने स्टाफ व वहां रहने वाली अन्य महिलाओं को हर नए शब्द को लिखने के लिए कहा। शब्दों को जोड़ते हुए खजूरी गांव का नाम सामने आया। यह गांव उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा व राजसमंद के रेलमगरा में भी होने से संबंधित थाने को सूचना भिजवाई गई। उसके वर्तमान व पुराने फोटो भेजे गए लेकिन कुछ भी पता नहीं चला। धीरे-धीरे छोटा उदयपुर नाम सामने आने पर अधीक्षक ने गूगल पर सर्च किया तो वह गुजरात में निकला। वहां पुलिस कंट्रोल रूम से पूछताछ की तो खजूरिया गांव का नाम निकल आया। सरपंच ने फोटो देखकर सुमन को पहचान लिया। वह स्वयं परिजनों के साथ उदयपुर पहुंचे।
जोड़ते गए हर शब्द को
उदयपुर में सुमन गुमसुम रहती थी। दो साल तक एमबी चिकित्सालय में उसका उपचार चला। सामान्य होने पर वह टूटे-फूटे शब्द बोलने लगी। अधीक्षक ने स्टाफ व वहां रहने वाली अन्य महिलाओं को हर नए शब्द को लिखने के लिए कहा। शब्दों को जोड़ते हुए खजूरी गांव का नाम सामने आया। यह गांव उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा व राजसमंद के रेलमगरा में भी होने से संबंधित थाने को सूचना भिजवाई गई। उसके वर्तमान व पुराने फोटो भेजे गए लेकिन कुछ भी पता नहीं चला। धीरे-धीरे छोटा उदयपुर नाम सामने आने पर अधीक्षक ने गूगल पर सर्च किया तो वह गुजरात में निकला। वहां पुलिस कंट्रोल रूम से पूछताछ की तो खजूरिया गांव का नाम निकल आया। सरपंच ने फोटो देखकर सुमन को पहचान लिया। वह स्वयं परिजनों के साथ उदयपुर पहुंचे।