आसमान तले नाली किनारे ठिठुरती काया पर गुरुवार शाम बाल कल्याण समिति सदस्य बी.के. गुप्ता की अचानक नजर पड़ी तो उन्होंने पत्रिका व भूपालपुरा थानापुलिस को सूचना दी। पत्रिका टीम के पहुंचने के कुछ देर बाद पुलिस का जाब्ता व नारायण सेवा संस्थान की एम्बुलेंस पहुंची। गुप्ता ने विजय प्रभाकर, प्रदीप कनेरिया की मदद से उसे एमबी. चिकित्सालय पहुंचाया। जहां मनोचिकित्सक डॉ.एके.शर्मा ने उसे संभाला। इस बीच मोहल्लेवासियों का कहना था उन्होंने कई बार भूपालपुरा थाना पुलिस को सूचित किया लेकिन कोई नहीं आया।
बढ़ी हुई दाढ़ी, लम्बे बाल, धंसी हुई आंखें, पिचका हुआ पेट, नग्नावस्था और शून्य में ताकते इस शख्स के पास कुल जमा पूंजी के नाम पर फटे पुराने कपड़ों की एक गठरी है, जिसे वह सिहराने लगाए संभाले हुए था। भूख लगने पर वह कभी नाली में पड़ी झूठन को निवाला बना रहा था तो कभी मोहल्लेवासियों द्वारा फेंकी गई खाने पीने की चीजों को वह टुकुर-टुकुर देख खा रहा था।
किसी भी विक्षिप्त, लावारिस, विमंदित, घायल पीडि़त या बालक को देखे तो तुरंत ही मानवीय धर्म के नाते उसे हॉस्पिटल तक पहुंचाने में आगे आए। हमारा छोटा सा प्रयास किसी की जिंदगी बचा सकता है तो किसी को अच्छा जीवन दे सकता है। छह दिन से एक विक्षिप्त के पोश इलाके में पड़े रहने से मन काफी द्रवित हो उठा।
बी.के.गुप्ता, बाल कल्याण समिति सदस्य