भारत की तरफ से अब तक सुरेश प्रभु, शक्तिकांत दास, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और पीयूष गोयल भी शेरपा रह चुके हैं। ———– पानगडि़या भारतीय-अमरीका अर्थशास्त्री रहे, जो कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर रहे। स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में भारतीय आर्थिक नीतियों पर दीपक और नीरा राज केंद्र के निदेशक भी रहे। उन्होंने जनवरी 2015 और अगस्त 2017 के बीच भारत सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे एशियाई विकास बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री भी रहे। उन्हें अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2012 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
——- ये है शेरपा जी-20, जी-8 जैसे इंटरनेशनल शिखर सम्मेलन में किसी देश के व्यक्तिगत प्रतिनिधि को शेरपा कहते हैं. शेरपा सम्मेलन के एजेंडे को लेकर समन्वय बनाता है। शेरपा सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक एजेंडे पर बात करते हैं।
——— क्या काम करते हैं शेरपा शेरपा सम्मेलन से पहले कई बार मिलते हैं, ताकि किसी भी मुद्दों पर मतभेदों को दूर किया जा सके। जी-20 में दो माध्यमों के जरिए काम होता है। एक शेरपा ट्रैक के जरिए और दूसरा फाइनेंस ट्रैक के जरिए। आखिर में शेरपा फाइनेंस ट्रैक प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सम्मेलन का डिक्लियरेशन तैयार करते हैं। यही जी-20 शिखर सम्मेलन का फाइनल रिजल्ट होता है। शेरपा हर सदस्य देश और इंटरनेशनल संगठनों के अधिकारियों के साथ मिलकर किसी भी मुद्दे पर तकनीकी और नीतिगत विश्लेषण करते हैं। इनका फोकस कृषि, करप्शन से लड़ाई और रोजगार जैसे विकास से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होता है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, वित्त, बुनियादी ढांचे में निवेश और व्यापार जैसे मुद्दे पर शेरपा पॉलिटिकल लेवल पर सहमति चाहते हैं। फाइनेंस ट्रैक के जरिए जी-20 मेंबर्स के सेंट्रल बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्रियों के साथ बातचीत किया जाता है। इसके साथ ही वैश्विक आर्थिक समस्याओं को लेकर हर साल बैठक होती है।
——— पद्मभूषण पुरस्कार से हुए सम्मानित: पानगडि़या को अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2012 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 के आंकड़ों का विश्लेषण भी कर रहे थे।