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शिक्षा के मंदिर में अनियमितताएं: एक माह में ही दो मास्साब आ गए पकड़ में, पढ़िए पूरी खबर …

locationउदयपुरPublished: Nov 14, 2018 04:20:03 pm

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मोहम्मद इलियास /उदयपुर. शिक्षा मंदिर में बच्चों को अनुशासन का पाठ एवं चोरी करना पाप है…शिक्षक-प्रधानाध्यापकों के हाथ में जब से स्कूलों में आने वाले पोषाहार, दूध व अन्य सामग्रियों के बिलों के भुगतान का जिम्मा सौंपा गया, तब से उनका ईमान ही डोल गया। मोटी तनख्वाह के बावजूद वे बच्चों के पोषाहार में डाका डालने के अलावा निर्माण बिलों मेंं कमीशन खा रहे हैं। लंच बॉक्स तो उनके हाथों से छूट गए, वे अब बच्चों के पोषाहार सामग्री में ही अलग से भोजन बनवाकर जीम रहे हैं।
बच्चों को पानी मिला दूध व खुद शुद्ध दूध पी रहे हैं।
एसीबी उपाधीक्षक राजीव जोशी ने बताया कि घूस लेते पकड़े गए सूरजपोल के टेकरी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक गमेरलाल रेगर पूर्व में जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में स्थानांतरण, पोस्टिंग विभाग में तैनात था। तब तत्कालीन डीओ से भी उसकी नहीं बनती थी। विभाग में तैनातगी के लिए स्थानांतरण व पोस्टिंग में लेन-देन के गंभीर आरोप लगे थे। आरोपी ने प्रधानाध्यापक गमेरलाल ने दूध के कमीशन के भी तीन माह के बिल अटका रखे थे। रिश्वत नहीं देने पर वह सप्लायर बंद करने की धमकी दे रहा था। गौरतलब है कि एक माह पूर्व भी एसीबी ने ऋ षभदेव में एक अन्य स्कूल के प्रिसिंपल को निर्माण कार्यों के बिलों के भुगतान में कमीशन लेते पकड़ा था।
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रोज पांच सौ रुपए की कमाई
एसीबी सीआई हरीशचन्द्र सिंह ने बताया कि अब तक जांच में स्पष्ट हुआ कि विद्यालय में 5वीं तक बच्चों को सौ मिलीलीटर व उसकी ऊपरी कक्षा के बच्चों को 150 मिलीलीटर दूध देने का प्रावधान है। सरकार ने उन्हें दूध की क्वालिटी के जांच का यंत्र भी दे रखा है लेकिन वे उसे काम में नहीं लेते। कमीशन के खेल में बच्चों की हाजिरी में कमी पेशी होने के बावजूद पूरा विद्यालय में पूरा दूध का बिल उठाया जा रहा था। जांच में स्कूल में अध्ययनरत करीब 155 बच्चों के 16 से 18 लीटर दूध आवश्यकता थी लेकिन 12 से 14 लीटर ही दूध मंगवाकर बिल में पूरा दर्शाते हुए प्रतिदिन पांच सौ रुपए की कमाई की जा रही थी और प्रतिमाह पन्द्रह हजार रुपए कमीशन के अलग से लिए जा रहे थे। परिवादी हीरालाल श्रीमाली ने पूछताछ में बताया कि दूध सप्लाई के साथ ही वह जुलाई में कमीशन के तीन हजार रुपए दे चुका है। अब तीन माह के कमीशन की मांग की जा रही थी।
बच्चे बोले पैसे लिए पर दीवार नहीं बनी
कक्षा 8वीं के बच्चों ने बताया कि दो साल पहले प्रधानाध्यापक ने सभी बच्चों से 50-50 रुपए स्कूल के कमरे पर क्षतिग्रस्त दीवार को ठीक करवाने मरम्मत के लिए पैसे लिए थे, लेकिन अब तक मरम्मत का काम नहीं हुआ।

आधी ग्लास दूध, केले कब खाए याद नहीं
प्रधानाध्यापक के ट्रेप होने के बाद पत्रिका टीम स्कूल पहुंची तो एक ही कमरे में बैठे 7वीं और 8वीं के बच्चों ने बताया कि उन्हें तो रोजाना आधी ग्लास ही दूध पिलाया जाता था। मिड डे मील के तहत फल वितरण के बारे में पूछा तो बताया कि उन्होंंने बताया कि फल कभी कभार ही दिए जाते है। आखिरी बार कब दिया यह भी बच्चों को याद नहीं, मतलब साफ है कि बच्चों के फलों पर भी डाका यहां पड़ा है। जानकारी के अनुसार मिड डे मील का काम प्रधानाध्यापक ने कविता नाम की शिक्षिका को सौंप रखा था।
दो साल की ही बची नौकरी
यूनिवर्सिटी रोड स्थित आदर्शनगर निवासी आरोपी गमेरलाल पुत्र नाथूलाल अगस्त 2013 से टेकरी स्कूल में तैनात था। महज दो साल की ही उसकी नौकरी बची थी। सीआई रोशनलाल, हैड कांस्टेबल रमेश शर्मा, कांस्टेबल टीकाराम, दानिश खान, लालसिंह की टीम ने आरोपी के मकान की तलाशी ली। दो मंजिला मकान के ग्राउंड फ्लोर को उसने किराए पर दे रखा है तथा ऊपरी माले पर वह परिवार सहित रहता है। मकान पर कुछ जेवर व कुराबड़ में भूखंड के कागज मिले है। लॉकर की भी जानकारी आई जिसकी अभी जांच की जा रही है। इसके अलावा स्कूल में बच्चों के संबंधित कोई उपलब्धि भरा रिकॉर्ड की बजाए आरोपी गमेरलाल की कमीशन की हिसाब-किताब की व्यक्तिगत डायरी भी मिली है जिसकी भी जांच की जा रही है।
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