कुछ ऐसा ही चल रहा है यहां सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के आट्र्स कॉलेज में संचालित डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग व डिप्लोमा इन टैक्सटाइल डिजाइनिंग में। इस डिप्लोमा ने कई युवाओं को स्वरोजगार के मार्ग पर खड़ा कर दिया है। यहां प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं के दिलों-दिमाग में एक जज्बा देखते ही बनता है, जिसमें यूथ फैशन ट्रेंड को अपने अंदाज में तैयार कर अपने स्टाइल से इम्प्रेस करने में सफल रहे हैं।
काफी है मांग
आए दिन बाजार में फैशन के नए-नए डिजाइन व अलग-अलग कलर कॉम्बिनेशन देखने को मिल रहे हैं। इनके चलते फैशन डिजाइनिंग का क्रेज दिन पर दिन बढ़ रहा है। कुछ न कुछ नया करने की ख्वाहिश के साथ चुनौतियों को स्वीकारने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक बेहतरीन कॅरियर ऑप्शन है। डिजाइनर कपड़ों की बढ़ती मांग के चलते आज इंडियन फैशन इंडस्ट्री ग्लोबल रूप ले चुकी है। हर माह कपड़ों का करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। यहां तक की भारत में तैयार होने वाले रेडिमेड कपड़ों की डिमांड देश ही नहीं विदेश में भी खूब है।
आए दिन बाजार में फैशन के नए-नए डिजाइन व अलग-अलग कलर कॉम्बिनेशन देखने को मिल रहे हैं। इनके चलते फैशन डिजाइनिंग का क्रेज दिन पर दिन बढ़ रहा है। कुछ न कुछ नया करने की ख्वाहिश के साथ चुनौतियों को स्वीकारने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक बेहतरीन कॅरियर ऑप्शन है। डिजाइनर कपड़ों की बढ़ती मांग के चलते आज इंडियन फैशन इंडस्ट्री ग्लोबल रूप ले चुकी है। हर माह कपड़ों का करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। यहां तक की भारत में तैयार होने वाले रेडिमेड कपड़ों की डिमांड देश ही नहीं विदेश में भी खूब है।
डबल की सीटें
बीते पांच सालों का रिकार्ड देखा जाए तो इन कोर्सेज में सीटें फुल रहती है, बीते साल छात्र-छात्राओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए सीटों की संख्या डबल करना पड़ा। ऐसे में डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग में 20 के बजाए 40 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया।
बीते पांच सालों का रिकार्ड देखा जाए तो इन कोर्सेज में सीटें फुल रहती है, बीते साल छात्र-छात्राओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए सीटों की संख्या डबल करना पड़ा। ऐसे में डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग में 20 के बजाए 40 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया।
स्टडी के साथ न्यू क्रिएशन
वुमन स्टडी सेंटर चेयरपर्सन प्रो. दिग्विजय भटनागर के अनुसार फैशन डिजाइन व टेक्सटाइल डिजाइन डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से वर्ष पर्यंत फैशन व क्रिएशन से जुड़ीं तरह-तरह की गतिविधियां होती है। स्टूडेंट्स को प्रेक्टिकल नॉलेज के साथ ही बाजार में चल रहे फैशन से अपडेट किया जाता है।
वुमन स्टडी सेंटर चेयरपर्सन प्रो. दिग्विजय भटनागर के अनुसार फैशन डिजाइन व टेक्सटाइल डिजाइन डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से वर्ष पर्यंत फैशन व क्रिएशन से जुड़ीं तरह-तरह की गतिविधियां होती है। स्टूडेंट्स को प्रेक्टिकल नॉलेज के साथ ही बाजार में चल रहे फैशन से अपडेट किया जाता है।
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1. डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग – 20 सीट 2. डिप्लोमा इन टैक्सटाइल्स डिजाइनिंग -20 सीट।
न्यूनतम शैक्षणिक आर्हता : किसी भी संकाय में बारहवीं।
1. डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग – 20 सीट 2. डिप्लोमा इन टैक्सटाइल्स डिजाइनिंग -20 सीट।
न्यूनतम शैक्षणिक आर्हता : किसी भी संकाय में बारहवीं।
क्या कहती हैं विषय विशेषज्ञ
डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग और डिप्लोमा इन टैक्सटाइल डिजाइनिंग में प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी न केवल स्वरोजगार से जुड़े है, बल्कि वे दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम बने हैं। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कल्याण सिंह ने भी हाल ही एक कार्यक्रम में कहा था कि कौशल विकास आधारित कोर्सेस पर स्टडी फोकस हो, क्योंकि आज के प्रतिस्पर्धा के युग में स्वरोजगार से जोडऩे वाले पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की जरूरत बन चुके है।
डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग और डिप्लोमा इन टैक्सटाइल डिजाइनिंग में प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी न केवल स्वरोजगार से जुड़े है, बल्कि वे दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम बने हैं। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कल्याण सिंह ने भी हाल ही एक कार्यक्रम में कहा था कि कौशल विकास आधारित कोर्सेस पर स्टडी फोकस हो, क्योंकि आज के प्रतिस्पर्धा के युग में स्वरोजगार से जोडऩे वाले पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की जरूरत बन चुके है।
– डॉ. डोली मोगरा, असिस्टेंट प्रोफेसर, सुविवि आट्र्स कॉलेज