महा अधिवक्ता से मांगी राय
मामले को बढ़ता देख विश्वविद्यालय ने महा अधिवक्ता से सलाह मांगी है। कुलपति ने बताया है कि महा अधिवक्ता को मामले से अवगत करवाया है। उनसे पूछा है कि ऐसे मामले में क्या करना चाहिए। वह सप्ताह भर में अपनी रिपोर्ट देंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। सूटा की मांग पर कुलपति ने कहा कि विवि पहले आन्तरिक जांच करता है और वह हम कर रहे है। एसओजी की बात तो अभी बहुत दूर है।
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इन मुद्दों पर भी विवाद बरकरार
इधर, भर्ती प्रक्रिया में रोस्टर को लेकर भी विवाद बरकरार है। एसटी – एससी के स्थायी कर्मचारी, विश्वविद्यालय शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक रोस्टर संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध पर अड़े हुए हैं। इनका आरोप है कि विश्वविद्यालय चहेतों को फायदा दिलाने के लिए रोस्टर से छेड़छाड़ कर रहा है जो असंवैधानिक है। विश्वविद्यालय ने विभागानुसार भर्ती निकाली है लेकिन उनमें भी गड़बडिय़ां है। वेबसाइट पर अपलोड किए गए रोस्टर पर किसी अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं है। नॉन टीङ्क्षचग पोस्ट के रोस्टर एसटी-एससी सेल के इंचार्ज हनुमान प्रसाद के भी हस्ताक्षर नहीं है। विवि ने रोस्टर में पुरुष, महिला, विकलांग के लिए सीटें इंगित नहीं की है। रोस्टर में कुछ विभागों में कुछ पूर्व व वर्तमान में कार्यरत प्रोफेसर्स के नाम ही नहीं है। रोस्टर को जांच के लिए कार्मिक विभाग को भी नहीं भेजा गया था। समिति ने मामले में जांच की मांग की है।
इन मुद्दों पर भी विवाद बरकरार
इधर, भर्ती प्रक्रिया में रोस्टर को लेकर भी विवाद बरकरार है। एसटी – एससी के स्थायी कर्मचारी, विश्वविद्यालय शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक रोस्टर संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध पर अड़े हुए हैं। इनका आरोप है कि विश्वविद्यालय चहेतों को फायदा दिलाने के लिए रोस्टर से छेड़छाड़ कर रहा है जो असंवैधानिक है। विश्वविद्यालय ने विभागानुसार भर्ती निकाली है लेकिन उनमें भी गड़बडिय़ां है। वेबसाइट पर अपलोड किए गए रोस्टर पर किसी अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं है। नॉन टीङ्क्षचग पोस्ट के रोस्टर एसटी-एससी सेल के इंचार्ज हनुमान प्रसाद के भी हस्ताक्षर नहीं है। विवि ने रोस्टर में पुरुष, महिला, विकलांग के लिए सीटें इंगित नहीं की है। रोस्टर में कुछ विभागों में कुछ पूर्व व वर्तमान में कार्यरत प्रोफेसर्स के नाम ही नहीं है। रोस्टर को जांच के लिए कार्मिक विभाग को भी नहीं भेजा गया था। समिति ने मामले में जांच की मांग की है।
यह है मामला
एलडीसी भर्ती परीक्षा में 75 में से 18 प्रश्न गलत पाने पर विवि ने उन्हें रद्द कर दिया। इसके बावजूद एक अभ्यर्थी नवीन मिश्रा को पूरे 75 अंक दिए गए। ऐसे में अन्य अभ्यर्थियों ने विरोध जताया। सूटा ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए एक संघर्ष समिति गठित कर एसओजी की मांग का ज्ञापन दिया था।
रोस्टर का रिकॉर्ड विवि के पास है। अपलोड कि ए जाने वाले डॉक्यूमेंट्स पर हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं रहती। किसी को आपत्ति है तो सूटा के बजाय व्यक्तिगत बात करे।
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