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– प्रत्येक लेबर रूम साफ सुथरा हो। – सभी में बेहतर प्रकाश व हवा की सुविधा हो।
– सभी जरूरी साधन उपलब्ध हो, जो प्रत्येक प्रसव के बाद स्टरलाइज किए जाए।
– हर प्रकार की जरूरी दवाइयां उपलब्ध हो। – बायोमेडिकल वेस्ट का संधारण नियमानुसार किया जाए, इधर-उधर फेंका नहीं जाए
—— ये है असल हाल जिले में प्रसव पाइन्ट केवल 81 है, जबकि उप स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 753 है।
—- अब प्रसव सखी प्रत्येक प्रसव के दौरान लेबर रूम में रहेगी, उसे कोई बाहर नहीं निकाल सकता। प्रसव सखी प्रसूता के परिवार की कोई महिला भी हो सकती है। विभाग प्रयास कर रहा है कि प्रत्येक केन्द्र पर प्रसव सुविधाएं शुरू हो जाए। – डॉ दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ उदयपुर