मां ने मन से बांध दी है सलामती की डोर, कोरोना से लडऩे की दी सीख
- पूरा परिवार ही जुट गया है कोरोना को हराने में

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. मां की आंखे सभी को घर में तलाशती तो हर पल हैं, लेकिन फोन पर उनकी सीख भी रोजाना नई ऊर्जा भर देती है। जिस मां की उंगली पकड़कर वे सभी भाई बहन इस डॉक्टरी पेशे में आ गए अब उसकी मन से बांधी डोर ही उन्हें संक्रमण के हर दौर में सुरक्षा कवच की तरह समेट लेती है, ताकि सभी महफूज रहे। पत्रिका से बातचीत में भर्राए मन से सर्जन डॉ संजीव कहते हैं कि माता पिता के आदर्श ही है जो उन्हें हर मोर्चे पर कभी पीछे हटने या हारने से रोकते हैं। यहां बात आज एेसे परिवार की है जिस परिवार के आठ चिकित्सक व तीन नर्सेज कोरोना की जंग में अलग-अलग मोर्चे पर लड़ रहे हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य एक है कोरोना से जीत।
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मूलत: भरतपुर के नदबई का है परिवार भरतपुर के नदबई निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक जसवन्तसिंह व उनकी पत्नी गृहणी विजयलक्ष्मी के दो बेटे, उनकी पत्नी, बेटी व दामाद सभी राज्य के अलग-अलग चिकित्सालयों में चिकित्सक हैं। साथ ही उनके परिवार के दो अन्य चिकित्सक है तो तीन नर्सेज हैं। खास बात ये कि पूरा परिवार ही कोरोना से जंग लड़ रहा है।
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डॉ अजीत चौधरी और डॉ मोनूसिंह: डॉ संजीव के बडे़ भाई हैं। जो जयपुर के एसएमएस में बतौर फिजिशियन एमडी के पद पर कार्यरत हैं तो उनकी भाभी शिशु रोग विशेषज्ञ है। खास बात ये है कि भाभी डॉ मोनूसिंह अभी गर्भवती हैं, इसके बाद भी सेवाएं दे रही है, यदि वे चाहे तो अवकाश लेकर घर आराम कर सकती हैं।
- डॉ संजीव चौधरी जो स्वयं आरएनटी में सर्जन है और नियमित सेवाएं दे रहे हैं। डॉ निकिता उनकी पत्नी है जो एम्स रायपुर (छत्तीसगढ़) में कार्यरत हैं।
- डॉ राजबाला - डॉ संजीव की बहन है जो आरयूएचएस मेडिकल कॉलेज जयपुर में पैथोलॉजिस्ट है तो पति डॉ लखमीचन्द एसएमएस हॉस्पिटल में सर्जन हैं।
- भुआ की बेटी डॉ दीक्षा फोजदार आरयूएचएस जयपुर में इन्टर्न है तो दीक्षा का छोटा भाई डॉ कपिल फौजदार भरतपुर मेडिकल कॉलेज में है। - डॉ चौधरी के चाचा शेरसिंह अलवर में उप वैद्य और उनके बेटे नवीन और निकेश में नर्सेज हैं।
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बकौल डॉ संजीव उनकी मां पिछले तीन दशक से अस्थमा की मरीज है। वह खुद को दिखाने अक्सर एसएमएस जाया करती थी, वहां पर चिकित्सकों की सेवा देखकर मन में इच्छा हुई कि बच्चों को भी डॉक्टर बनाया जाए। इसके बाद उन्होंने सभी बच्चों को तैयार ही एेसा किया कि सभी एक के बाद एक डॉक्टर बनते गए। माता-पिता जयपुर बडे़ भाई के साथ रहने आ गए हैं। जयपुर की आनन्दपुरी क्षेत्र में निवासरत है। रोजाना अपडेट्स लेते है कि सबकी तबीयत कैसी है, लेकिन सभी से ये जरूर कहती है कि कैसी भी परिस्थिति में काम से कभी भागना नहीं है।
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