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म्यूकोरमायकोसिस: मरीजों के लिए भी दवाओं का टोटा, केवल गिने-चुने इंजेक्शन पर निर्भर

locationउदयपुरPublished: Jun 17, 2021 05:56:58 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– एक-एक इंजेक्शन के लिए तरस रहे मरीज
– सरकार ने मांगी डिमांड, तत्काल भेजिए

म्यूकोरमायकोसिस: मरीजों के लिए भी दवाओं का टोटा, केवल गिने-चुने इंजेक्शन पर निर्भर

म्यूकोरमायकोसिस: मरीजों के लिए भी दवाओं का टोटा, केवल गिने-चुने इंजेक्शन पर निर्भर

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. जिले में भले ही म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) के मरीज मु_ी भर हैं, लेकिन इन मरीजों के लिए दवाइयों का भारी टोटा है। हालात ये है कि हॉस्पिटल फिलहाल तो एक-एक मरीज की जरूरत के हिसाब से इंजेक्शन के लिए तरस रहे हैं। अभी ना तो आरएनटी के पास इन इंजेक्शन का कोई स्टॉक हैं और ना ही अधिकृत अन्य हॉस्पिटलों के पास। दूसरी ओर इस बीमारी के लिए जो टेबलेट यानी गोली की जरूरत हैं, वह अभी तक सरकारी स्तर पर सप्लाई ही नहीं हो पाई है। गौरतलब है कि इसकी कोई दवाई बाजार में नहीं है, सरकारी स्तर पर ही सप्लाई के माध्यम से आरएमएससी सभी ब्लैक फंगस के उपचार के लिए अधिकृत (सरकारी व निजी) हॉस्पिटलों को दवा उपलब्ध करवा रही है।
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सरकार ने मांगी है डिमांड – फिलहाल सरकार ने आरएनटी मेडिकल कॉलेज से डिमांड मांगी है कि उन्हें कितनी दवाओं की जरूरत है, यहां से इसे तैयार कर शुक्रवार को भेजा जाएगा, ताकि जल्द से जल्द दवाइयां मिल सके। – अभी आरएनटी मेडिकल कॉलेज में करीब 90 ब्लैक फंगस के रोगी उपचाररत हैं, लेकिन इंजेक्शन गिने चुने आ रहे हैं। – फिलहाल केवल महंगी दरों वाले लाइफोसोमल इंजेक्शन ही पहुंच रहे हैं। सस्ते इंजेक्शन एक ही बार 200 आए थे, लेकिन इसके बाद अगली खेप नहीं आई थी। प्रत्येक मरीज को प्रतिदिन सस्ते 3 और महंगे इंजेक्शन 6 लगते हैं।
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ये है कीमत- ऐसे लगाए जाते हैं….

लायोफिलाइज्ड एम्पोटेरेसिन बी- करीब 150 प्रति इंजेक्शन (न्यूनतम 10 से 15 दिन तक)- प्रत्येक मरीज को एक दिन में तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं, इसकी रोजाना कीमत 450 रुपए प्रतिदिन बैठती है। लाइफोसोमल एम्फोटेरेसिन बी- करीब 7000 हजार रुपए प्रति इंजेक्शन (करीब दस)- प्रत्येक मरीज को प्रतिदिन 6 इंजेक्शन लगते हैं, ऐसे में 42 हजार रुपए इनकी रोजाना की कीमत होती है।
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ये वो टेबलेट जो अब तक आई ही नहीं

– पोसाकोनेजोल- ये गोली फिलहाल आई नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि आने वाली है। ये ब्लैक फंगस वाले मरीज के लिए जरूरी है।
– इस टेबलेट की सरकारी दर करीब 680 रु प्रति टेबलेट हैं। पहले दिन भर्ती होने के साथ ही ये छह गोलियां लेनी होती है, जबकि उसके बाद रोजाना, 3-3 गोली रोजाना, जिसे करीब दस दिन तक लेना होता है। यानी ये पूरा कोर्स केवल टेबलेट का ही पहले दिन 4080 रुपए और इसके बाद नौ दिन की तीन-तीन गोली का खर्च 18360 रुपए आता है। दोनों का मिलाकर केवल गोलियों का खर्च ही 22440 रुपए खर्च है। यदि इससे अधिक दिन होते हैं तो हर दिन तीन-तीन गोली का खर्च प्रतिदिन 2040 के हिसाब से बढ़ता जाता है।
– सरकारी स्तर पर हॉस्पिटलों में जो मरीज उपचार करवा रहे हैं, उन्हें इसका कोई खर्च नहीं लगता, पूरा पैसा सरकार वहन करती है, जबकि प्राइवेट हॉस्पिटलों में मरीजों को उपचार का पैसा देना पड़ता है।
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जयपुर से लाइफोसोमल इंजेक्शन आज शाम तक भेजे जा रहे हैं। फिलहाल यहां 112 आ जाएंगे। एमबी हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के लिए 80 और अन्य हॉस्पिटलों के लिए 32 इंजेक्शन पहुंचेंगे। प्रयास है कि सभी मरीजों को जल्द से जल्द दवा मिल सके। डॉ दीपक सेठी, ड्रग प्रभारी आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर
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