सितंबर में इस बार करीब-करीब प्रतिदिन बारिश हुई है। किसानों की फसलों को तबाह कर मानसून भले अलविदा कह गया हो लेकिन उससे खेतों में बर्बादी के निशान अब भी दिख रहे हैं। किसानों के लिए इस स्थिति से निपटना मुश्किल है। खेतों में भरे पानी को सूखने में अभी 20 से 30 दिन और लगेंगे। इसके बाद ही बुवाई संभव है। तय समय पर खेत खाली नहीं होने के कारण सरसों की बुवाई में देरी होने से गेहूं, चना, जौ व अन्य फसलों का रकबा बढ़ेगा। ब्लॉक कृषि अधिकारी मदनसिंह शक्तावत ने बताया कि आमतौर पर अक्टूबर के शुरुआत में ही रबी फसल की बुवाई प्रारम्भ हो जाती है लेकिन पूरे सितंबर और अक्टूबर के पहले सप्ताह में बारिश होने से किसानों के खेत तय समय पर खाली नहीं हो पाए हैं। नवंबर के मध्य और दिसंबर के पहले सप्ताह में ही बुवाई प्रारंभ होने की उम्मीद है। इस बार ईसबगोल, तारामीरा, गेंहू, चना,जौ आदि फसल का रकबा बढ़ेगा।
मेनार क्षेत्र में अत्यधिक खराबा
मानसून में औसत से अधिक बारिश से सैकड़ों हेक्टेयर की खरीफ फसलें खराब हो गई हैं। धान की फसल को कटने में अभी 30 से 35 दिन तक का समय लग सकता है। मेनार, नवानिया, रुंडेड़ा सहित वल्लभनगर उपखण्ड के कई क्ष्ेात्रों में इस साल बारिश से तिलहन की फसल 80 से 100 फीसदी तक प्रभावित हुई है।
गेहूं को मिलेगा फायदा
सरसों की बुवाई का समय तो जा रहा है। साथ ही चना और धनिया की बुवाई भी देरी से ही होगी। खेतों में नमी होने से गेहूं की फसल को खासा फायदा मिलेगा। अमुमन किसान रेलनी के अलावा 5 से 6 बार पानी देते हैं, लेकिन इस बार 4 दफा ही पानी देना पड़ेगा क्योंकि खेतो के रेलने नहीं पड़ेगा।
गत वर्ष से डेढ़ी बारिश
भींडर ब्लॉक क्षेत्र में 12 अक्टूबर तक 864 मिमी बारिश दर्ज हुई है जो पिछले साल से 299 मिमी अधिक है। गत साल कुल 565 मिमी बारिश हुई।