उदयपुर

नवरात्र 2018 : इस प्रसिद्ध मंदिर में गुजरात से आई ज्योत 600 सालों से अखण्ड प्रज्ज्वलित, video

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उदयपुरOct 10, 2018 / 11:28 pm

madhulika singh

Shardiya Navratri

उमेश मेनारिया /मेनार. जिले के बर्ड विलेज नाम से प्रख्यात मेनार कस्बे के ब्रह्म सागर किनारे स्थित शक्तिपीठ अम्बा माता मंदिर क्षेत्र के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है । मेनारिया समाज की कुल देवी अम्बे माता मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है । इसकी स्थापना गांव की स्थापना के समय का माना जाता है लेकिन गाँव स्थापना से अबतक 3 बार आपदा से उजड़े इस गांव का ये वर्तमान मंदिर करीब 600 साल पुराना है । ऐतिहासिक मंदिर अटूट अनगिनत इतिहास समेटे है । यह उन पांच मंदिरों में से एक है जब गांव की स्थापना के तौर पर पांच मंदिरों का निर्माण करवाया गया था । जिसमें ड्योडी गणेश मंदिर , ठाकुर जी मंदिर , खेड़ाखुन्ट , अम्बा माता मंदिर , हनुमान मंदिर नीम का चौराहा एवं थम्ब चोक स्थित थम्ब भी शामिल थे । यहां सैकडों वर्ष पूर्व गुजरात राज्य के पाटण से ज्योत लाकर मंदिर की स्थापना कर प्रतिमा स्थापित की गई थी । उस समय लाई गई ज्योत से ही गृभ ग्रह में अखण्ड ज्योत अटूट प्रज्ज्वलित है । मंदिर अहाते में भव्य बावड़ी बनी हुई है तो पीछे की तरफ हिलोरें लेता ब्रह्म सागर है । मंदिर परिसर से ही विशाल शिव प्रतिमा के दर्शन हो जाते हैं । मंदिर परिसर में आने वाले भक्तों को दिन भर पानी की कलकल, परिंदों की चहचहाहट प्रकति के मनोरम दृश्य का आभास कराती है । 50 लाख रुपये की लागत, जनसहयोग से 10 साल में बना भव्य शिखर मंदिर ब्रह्न सागर किनारे स्थित यह मंदिर करीब 600 साल पुराना है। इसे पूर्व भी यहां मंदिर था लेकिन समय आपदा के साथ उजड़ गया । इस मंदिर का तीसरी बार जीर्णोद्धार हुआ जो 2015 में पूर्ण हुआ है इसे पूर्व में विक्रम संवत 2036 में जीर्णोद्धार एवं स्वर्ण कलश स्थापित किया था प्रथम जीर्णोद्धार का उल्लेख नहीं है लेकिन हाल ही ग्रामीणों द्वारा जनसहयोग से करीब 10 वर्षों में 50 लाख रुपये खर्च कर शिखर मन्दिर का निर्माण करवाया गया । हर परिवार के घर से ज्यों ज्यों राशि इकट्ठी होती गयी त्यों त्यों मन्दिर निर्माण होता गया । ऐसे ही जनसहयोग से बने इस मंदिर को बनने में 10 साल लगे । प्रवेश द्वार के यहां भव्य संगमरमर का प्रवेश द्वार बनाया गया जिसके दोनों तरफ अम्बे के वाहक की प्रतिमा स्थापित है । पानी के हिलोरे से मंदिर को नुकसान ना हो इसके लिए तालाब के पानी के किनारे पीछे की तरफ़ 35 फीट ऊंची दीवार बनाकर भवन निर्माण किया गया । वहीं चारों तरफ दीवारें बना कर परिसर का विस्तार किया गया । वही मन्दिर परिसर में यज्ञ चबूतरा निर्माण आदि शामिल है ।
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