पूजी कन्याएं, हुए हवन, ज्वारा विसर्जन महानवमी के मौके पर जहां शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालु देवी दर्शन को पहुंचे। वहीं, घरों, मंदिरों सहित कई जगहों पर हवन, अनुष्ठान भी हुए। कइयों ने कन्याओं के साथ बटुक पूजन किया। इस बार कोरोना के कारण कई लोगों ने सावधानी रखते हुए दान-दक्षिणा की। डबोक स्थित काल भैरव मंदिर पर हवन-पूजन किया गया।
मंदिर के प्रधान सेवक राजकुमार पालीवाल ने बताया कि काल भैरव एवं मां कालिका के आह्वान के साथ मंत्रोच्चारण द्वारा हवन में आहुति दी गई। काल भैरव और मां कालिका को मिठाई और खीर-पूड़ी एवं विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाया गया। इसके बाद 9 कन्याओं को भोजन करवाया गया। इस अवसर पर मंदिर संरक्षक लीलाधर पालीवाल, मंडल अध्यक्ष कुणाल पालीवाल, मंडल उपाध्यक्ष प्रभात पालीवाल, मंडल सचिव नकुल पालीवाल आदि उपस्थित थे। इधर, पुरोहितों की मादड़ी में दुदाजी के देवरा स्थित धर्मराज खाखल देवजी मंदिर में नौ दिनों की उपासना का ज्वारा विसर्जन के साथ समापन हुआ। मंदिर के कालूलाल डांगी व हीरालाल डांगी ने बताया कि नवमी पर्व पर ज्वारा विसर्जन एवं पाती वळावण कार्यक्रम हुआ, इसमें मंदिर से शोभायात्रा निकली, जो मुख्य मार्ग होते हुए सरोवर पर पहुंची, जहां पाती व ज्वारा का विसर्जन किया। इस दौरान लक्ष्मीनारायण युवा परिषद एवं परशुराम गरबा मण्डल उदयपुर के पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद रहे।
बंगाली समाज ने किया महानवमी पूजन बंग भवन व कालीबाड़ी में बंगाली समाज की ओर से गुरुवार को महानवमी पूजन किया गया। सुबह 9 बजे पूजा प्रारंभ हुई और 11 बजे बलिदान व अपराह्न 3 बजे यज्ञ हुआ। दशमी के दिन अपराजिता पूजा एवं संाकेतिक दर्पण विसर्जन किया जाएगा। वहीं, शहर में प्राचीनतम दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत एनएल भट्टाचार्य ने 1956 में की थी। भट्टाचार्य परिवार पिछले 65 सालों से पारंपरिक विधि विधान से बिंदु भवन अशोक नगर में दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। यह जानकारी भट्टाचार्य परिवार की अंजलि एवं इंदिरा भट्टाचार्य ने दी।