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उदयपुर का ये आदिवासी कस्बा ‘अंग्रेजी’ का शौकीन.. इस तरह से मेंटेन करते हैं स्‍टेटस..

locationउदयपुरPublished: Feb 28, 2019 02:51:12 pm

– सरकार ने नीति बना शराब महंगी की, लेकिन छोटे पैक उपलब्ध करवाकर पियक्कड़ों की मौज कर दी है ..- शहर की तरह अंग्रेजी व देसी मदिरा बिकेगी अलग-अलग

मोहम्मद इलियास/उदयपुर . सागवाड़ा कहने को तो आदिवासी बहुल क्षेत्र है लेकिन आबकारी विभाग की निगाह में वहां ओहदेदार व समृद्ध लोग अंग्रेजी मदिरा पीने-पिलाने के शौकीन हैं। यही कारण है कि विभाग ने पूरे राज्य में अकेले सागवाड़ा को ग्रामीण क्षेत्रों से अलग रखते हुए वहां देसी व विदेशी मदिरा बेचने की अलग-अलग की व्यवस्था की है।
वर्ष 2018-19 की नई आबकारी नीति में चतुर्थ श्रेणी की नगर पालिका व ग्रामीण क्षेत्रों में आवंटित देसी शराब दुकानों पर अंग्रेजी शराब बेचने की अनुमति यथावत रखी गई है लेकिन सागवाड़ा क्षेत्र में शहर की तरह ही अंग्रेजी व देसी शराब अलग-अलग दुकानों पर बेची जाएगी। विभाग का मानना है कि शहर में जिस तरह से देसी शराब की दुकान पर पीने-पिलाने के शौकीन लोग कम पहुंचते हैं, वैसे ही सागवाड़ा में भी लोग अपना स्टेट्स मेंटेन करते हैं। वे देसी पव्वा खरीदने वालों के साथ दुकान पर खड़े नहीं होते है। इससे पूर्व राज्य में कोटा के रावतभाटा व अलवर के बहरोड़ में भी ऐसी व्यवस्था थी लेकिन उनकी व्यवस्था बदल दी गई है।
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दो दिन बढ़ाई अन्तिम तिथि
आबकारी नीति के नवीनीकरण में प्रति वर्ष लाइसेंस फीस बढ़ाकर विशुद्ध रूप से एक हजार करोड़ रुपए कमाने वाले विभाग ने सरकार बदलते ही बंदोबस्त के लिए नए सिरे से आवेदन मांगे हैं। बिना अमानत राशि वाले आवेदन की प्रक्रिया में नॉकआउट सिस्टम से विभाग को ज्यादा आवेदन आने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में विभाग ने कुछ छूट देने के साथ आवेदन की अन्तिम तिथि दो दिन बढ़ाई है।
बिक्री बढ़ाने के लिए छोटा पैक भी
शराब का प्रचार किए बिना सरकार ने कारोबारियों का फायदा पहुंचाने के लिए इस बार 90 मिली के प्लास्टिक पाउच को मंजूरी दी है। इस छोटे पैक की बिक्री से पियक्कड़ भी बढ़ेंगे। सरकार ने मद्यनिषेध की नीति बनाते हुए शराब महंगी की लेकिन इसकी रोकथाम के बजाए छोटे पैक उपलब्ध करवाकर पियक्कड़ों की मौज कर दी है।
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