उदयपुर शहर में प्रस्तावित देहलीगेट फ्लाईओवर को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, मेयर जीएस. टांक व यूआइटी सचिव अरुण हासिजा ने चर्चा की। कटारिया को सचिव हासिजा ने बताया कि फ्लाईओवर की डीपीआर के लिए तीन टेंडर प्राप्त हुए है, अब उनका तकनीकी मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद डीपीआर बनाई जाएगी और हाईकोर्ट में पेश करेंगे। अगली प्रक्रिया में प्रशासनिक, वित्तीय व तकनीकी स्वीकृति राज्य सरकार से ली जाएगी, उसके बाद कार्य का टेंडर किया जाएगा। वैसे यूआइटी ने अपने बजट में इस कार्य के लिए 20 करोड़ का प्रावधान कर दिया है।
तीतरड़ा तालाब की पाल ठीक करेंगे
लेकसिटी में एक और तालाब की पाल को सरंक्षित करने का काम हाथ में लिया जा सकता है। इस समय फतहसागर झील की पाल व रूपसागर झील की पाल वाले हिस्से को तो विकसित कर रखा है। अब तीतरड़ी क्षेत्र में स्थित तीतरड़ा तालाब की पाल के विकास के लिए नगर विकास प्रन्यास (यूआइटी) सर्वे करेगा। यह बात शुक्रवार को तीतरड़ा तालाब के दौरे के दौरान तय हुई। कटारिया, महापौर व यूआइटी सचिव का सुझाव था कि तीतरड़ा तालाब की सरकारी पाल वाली जगह पर एक पाल का निर्माण किया जाए, जिससे पानी भी संरक्षित होगा और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा। बताया गया कि ये निजी खातेदारी का तालाब का है, जब पानी नहीं होता तब खेती की जाती है। बाद में तय किया गया कि वहां सबसे पहले झाडिय़ा हटाई जाएंगी ओर इसके बाद इस क्षेत्र की सर्वे कराई जाएगी। इसमें कितनी चौड़ाई, ऊंचाई और ढलान है इसकी तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद एस्टीमेट तैयार किया जाएगा।
लेकसिटी में एक और तालाब की पाल को सरंक्षित करने का काम हाथ में लिया जा सकता है। इस समय फतहसागर झील की पाल व रूपसागर झील की पाल वाले हिस्से को तो विकसित कर रखा है। अब तीतरड़ी क्षेत्र में स्थित तीतरड़ा तालाब की पाल के विकास के लिए नगर विकास प्रन्यास (यूआइटी) सर्वे करेगा। यह बात शुक्रवार को तीतरड़ा तालाब के दौरे के दौरान तय हुई। कटारिया, महापौर व यूआइटी सचिव का सुझाव था कि तीतरड़ा तालाब की सरकारी पाल वाली जगह पर एक पाल का निर्माण किया जाए, जिससे पानी भी संरक्षित होगा और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा। बताया गया कि ये निजी खातेदारी का तालाब का है, जब पानी नहीं होता तब खेती की जाती है। बाद में तय किया गया कि वहां सबसे पहले झाडिय़ा हटाई जाएंगी ओर इसके बाद इस क्षेत्र की सर्वे कराई जाएगी। इसमें कितनी चौड़ाई, ऊंचाई और ढलान है इसकी तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद एस्टीमेट तैयार किया जाएगा।