ऐसे किरदार, ऐसी कहानी राइटर्स गैलेक्सी के अनिरुद्ध पाठक निर्माता के रूप में डेब्यू कर रहे हैं। ‘पृथ्वी वल्लभ’ दो चिरशत्रु योद्धाओं टकराव की परिणीति है। ये कहानी है मालवा साम्राज्य का उत्तराधिकारी और मानवता के सिद्धांत के समर्थक ‘पृथ्वी’ (आशीष शर्मा) और मान्याखेट की योद्धा राजकुमारी ‘मृणाल’ (सोनारिका भदौरिया) के ‘रीयल मिक्स फिक्शन वॉर’ की। युद्ध के मैदान पर नफरत के रेगिस्तान सी फैली कहानी अंतत: एक रोचक प्रेम कथा बनकर खत्म होती है।
अनिरुद्ध का मानना है कि ‘पृथ्वी वल्लभ’ सीरियल पश्चिमी देशों की नायक प्रधान मानसिकता के मिथक को तोड़ता है। कथानक के मूल से जुड़े इतिहास की झलक और दर्शकों में रोमांच जगाए रखने के लिए काल्पनिक घटनाक्रमों का रहस्यात्मक प्रदर्शन इसे और अधिक भव्यता प्रदान करेगा। मुख्य किरदारों के अलावा सिंहदंत के रूप में पवन चोपड़ा, राजमाता बनी शालिनी कपूर, सविता के रूप में अलीफिया कपाडिय़ा, तैलप बने जितिन गुलाटी, पियाली मुंशी बने जक्कला और विनयादित्य के रूप में सुरेन्द्र पाल नजर आएंगे।
गौरतलब है कि 80 एपिसोड में मुकम्मल होने वाला यह सीरियल हर शनिवार-रविवार को रात 9.30 बजे सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर देख जा सकेगा। ————————— कहानी की मांग मुताबिक इतिहास का लिया है सहारा – आशीष
इस खास मौके पर मुंबई के एक पांच सितारा होटल में ‘पृथ्वी वल्लभ’ के नायक आशीष शर्मा से पत्रिका संवाददाता ने बात कर सीरियल से जुड़ीं रोचक जानकारियां हासिल कीं। आइए, जानते हैं उन्हीं की जुबानी-
आशीष बताते हैं ‘पृथ्वी वल्लभ’ के मुख्य किरदार के लिए वजन और बाल बढ़ाने से लेकर तलवारबाजी के पैंतरे सीखे। घुड़सवारी में दक्ष होने के दौरान कई मर्तबा चोटें खाईं। पारम्परिक वाद्य यंत्रों को सलीके से पकडऩे और बजाने का अभ्यास करना पड़ा। दसवीं शताब्दी के दौर की कहानी होने से इतिहास को भी समझना निहायत जरूरी था। दरअसल, उसके अभाव में इतना भव्य किरदार निभा पाना संभव नहीं था।
कहानी के नायक ‘पृथ्वी’ से असल जिंदगी के आशीष में साम्यताएं पूछे जाने पर वे कहते हैं दोनों में ढेर गुण मिलते हैं। मुख्य रूप से नायक पृथ्वी बेहद संवेदनशील इंसान है। कला और संगीत प्रेमी भी। मेरे पिता अच्छे कवि और बेहद संजीदा इंसान हैं। लगता है, वही सब मुझे भी विरासत में मिला है।
ये पूछे जाने पर कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बने इस सीरियल को भी कहीं ‘पद्मावती’ की भांति स्थानीय अथवा क्षेत्रीय जन आक्रोश तो नहीं झेलना पड़ेगा, आशीष तपाक से कहते हैं कहानी की मांग के अनुरूप जितना इतिहास में उल्लेख था, उसी को बड़ी रिसर्च के साथ लिया गया है। यकीनन ‘पृथ्वी वल्लभ’ एक इतिहास के एक रहस्य को बखूबी रेखांकित करता है। इसके प्रदर्शन के साथ इस बात का खयाल रखा गया कि काल्पनिक चित्रण के बावजूद उस दौर के राजे-रजवाड़ों के परस्पर वैर-भाव के बीच फले-फूले भारतवर्ष की संस्कृति पूरे सम्मान से जीवित रहे।