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डूब रहे साढे़ चार करोड़ बचाने का निकाला नया तरीका

locationउदयपुरPublished: Aug 18, 2022 08:14:44 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

चेता सुखाडि़या विश्वविद्यालय
प्राइवेट कॉलेजों से कहा- पैसा दो, नहीं तो सम्बद्धता समाप्त
अर्से से जीएसटी जमा नहीं करवाने वाले कॉलेजों को नोटिस जारी
इस वर्ष भी 24 ऐसे कॉलेज, जिन्होंने नहीं दी जीएसटी
 

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गत वर्ष के करीब ढाई करोड़ से ज्यादा राशि बकाया

मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय ने बीते छह वर्षों में जीएसटी के डूबे साढे़ चार करोड़ रुपए प्राइवेट कॉलेजों से वसूलने के लिए नया तरीका निकाला है। विवि ने वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2022 के बीच साढे चार करोड़़ से अधिक की जीएसटी जमा नहीं करवाने वाले साढे़ चार सौ प्राइवेट कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। इसमें चेताया कि वे तत्काल बकाया राशि जमा करवाएं, अन्यथा उन्हें विवि की सम्बद्धता से हाथ धोना पडे़गा।

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वर्ष- जीएसटी जमा करवाने वाले कॉलेज – जमा नहीं करवाने वाले कॉलेज- कुल जीएसटी- जमा करवाई राशि

2017-18, – 17- 120- 5236020- 431100

2018-19, – 16 – 105- 5394573.90- 470520

2019-20 – 17- 100- 5990220- 616320

2020-21 – 110- 45- 6793517.70- 3563300

2021-22 – 103- 58- 6043770- 33576500

2022-23 – 163 24 2630952- 1524600

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सुविवि जुटा रहा दस्तावेज- खास बात ये है कि इनमें 97 प्राइवेट कॉलेज ऐसे भी शामिल हैं, जो वर्ष 2017 में जीजीटीयू बांसवाड़ा में हस्तान्तरित हो गए थे। इसकी राशि जीजीटीयू के पास चली गई है, कुल जीएसटी 2624940 बना था। इनके दस्तावेज सुविवि जुटा रहा है कि कितनी राशि चुकाई गई। हालांकि वर्तमान में जीजीटीयू के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी ही सुविवि का कार्यभार संभाल रहे हैं।

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पत्र में यह है उल्लेख

जिन कॉलेजों ने जीएसटी की राशि जमा करवाई है, उन्हें सम्बद्धता शुल्क दे दिया गया है, लेकिन जिन कॉलेजों ने यह राशि नहीं दी है, उन्हें सत्र 22-23 में बिना सम्बद्धता पत्र के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं देने के लिए लिखा गया है। यदि ये कॉलेज बिना सम्बद्धता प्रवेश देते हैं, तो इन विद्यार्थियों के साथ धोखा होगा, इसकी जिम्मेदारी संबंधित कॉलेज प्रशासन की होगी। सम्बद्धता के लिए उन्हें तय शुल्क के साथ ही जीएसटी की राशि जल्द जमा करवानी होगी।

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इनका कहना हैफिलहाल हमने इस वर्ष जीएसटी नहीं देने वाले कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। जल्द ही हम सभी को नोटिस जारी कर रहे हैं, ताकि पुरानी राशि भी हम जमा करवा सके। मूल जीएसटी की राशि से लेकर तय ब्याज यदि गिना जाए तो साढ़े चार से पांच करोड़ रुपए इसकी कुल राशि बन रही है।

सीआर देवासी, रजिस्ट्रार, सुविवि

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