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52 जोड़े पारम्परिक रस्मो रिवाज से सात जन्मों के बंधन में बंधे…31वां नि:शुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह

locationउदयपुरPublished: Sep 09, 2018 10:16:46 pm

Submitted by:

Krishna

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52 जोड़े पारम्परिक रस्मो रिवाज से सात जन्मों के बंधन में बंधे…31वां नि:शुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह

प्रमोद सोनी/उदयपुर. नारायण सेवा संस्थान की ओर से लियों का गुड़ा बड़ी में रविवार को आयोजित हुए 31वें नि:शुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह में 52 जोड़े पारम्परिक रस्मो रिवाज से सात जन्मों के बंधन में बंधे। संस्थापक कैलाश मानव, सह संस्थापिका कमलादेवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल ट्रस्ट्री देवेंद्र चौबीसा, जगदीश आर्य के सान्निध्य में हुआ।शुभ मुहूर्त में विवाह की रस्मों की शुरुआत हुई जिसमें दूल्हों ने नीम की डाली से तोरण की रस्म अदा की। इसके बाद संस्थान परिसर में बने पांडाल में वरमाला एवं आशीर्वाद समारोह हुआ। विशेष तौर पर बनाए गए हाइड्रोलिक मंच पर पांच जोड़ों की वरमाला हुई। घूमते हुए मंच पर पुष्प वर्षा व भव्य आतिशबाजी के बीच वर.वधू ने वरमाला की रस्म अदा की। इससे पूर्व अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल आदि एक डोली में दुल्हन को लेकर पहुंचे तो पूरा पांडाल ही थिरक उठा।समारोह में अतिथि जिसमें रानी दुलानी मुम्बई, पंकज चौधरी हैदराबाद, कुसुम गुप्ता दिल्ली, अलका चौधरी हैदराबाद, प्रेम निजमन दिल्ली, हरी निवास आगरा, प्रभुनाथ सिंह इलाहबाद, राधा रानी फरीदाबाद, विजेंद्र दत्त दिल्ली आरएस अरोड़ा दिल्ली, बालकृष्ण तिवारी इंदौर ने आशीर्वचन प्रदान किए। विवाह स्थल पर वेदियों पर मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में विवाह की सभी रस्में विधि-विधान के साथ संत समुदाय की मौजूदगी व धर्म माता-पिता के आशीर्वाद के बीच संपन्न हुईं। पाणिग्रहण संस्कार के बाद विवाह की अन्य रस्में हुईं।समारोह में आयोजक समितियों के दल्लाराम पटेल, रोहित तिवारी, दीपक मेनारिया, मनीष परिहार, भगवती मेनारिया, दिनेश वैष्णव, कुलदीप शेखावत, अम्बालाल, जितेंद्र गौड़, दिग्विजय सिंह, अनिल आचार्य और रजत गौड़ विभिन्न व्यवस्थाओं में सहभागी बने। संचालन महिम जैन ने किया।
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विदाई की वेला में भर आई आंखें

विदाई की वेला आई तो पांडाल में मौजूद सभी लोागें की आंखों से अपनेपन के आंसू छलक आए। दूल्हनों को डोली में बिठाया गया। परिजनों, मित्रों के साथ ही धर्म माता-पिता ने आशीष के साथ बेटियों को विदा किया। संस्थान की ओर से सभी जोड़ों को उनके गांव शहर में स्थित निवास स्थान तक छोडऩे के लिए विशेष बस कारों व अन्य वाहनों की नि:शुल्क व्यवस्था की गई। जोड़ों को गृहस्थी के लिए आवश्यक सामान के साथ सोने का मंगलसूत्र, चांदी की पायल, बिछिया, अंगूठी सहित अन्य घरेलू उपहार सामग्री प्रदान किए गए।
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