एनएचएआइ ने इस सम्बंध में आदेश जारी किया कि टोल नाकों पर 24 घंटे के अंतराल में गुजरने वाले वाहनों के लिए रिटर्न यात्रा करने वाले उपयोगकर्ताओं को छूट केवल तभी प्रदान की जाएगी, जब भुगतान फास्टैग के माध्यम से किया गया हो। टोल प्लाजा की ओर से स्थानीय स्तर पर दी जा रही मासिक पास की सुविधा भी फास्टैग के माध्यम से ही संचालित करने के निर्देश हैं। फास्टैग पर आरएफआइडी के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
प्राधिकरण ने 15 दिसंबर, 2019 तक टोल प्लाजा पर फास्टैग के अलावा केवल एक लेन हाइब्रिड रखी थी, इसमें कैश एवं फास्टैग दोनों से भुगतान सुविधा दी जा रही थी। 15 जनवरी, 2020 तक हरेक टोल पर केवल 25 प्रतिशत लेन को ही शेष लेन के रूप में रखा जाना तय था। टोल प्लाजा पर लागू सभी रियायतें-छूट जैसे वापसी किराया छूट, स्थानीय छूट, मासिक पास केवल फास्टैग के माध्यम से ही अब मिल सकेंगी।
प्राधिकरण ने 15 दिसंबर, 2019 तक टोल प्लाजा पर फास्टैग के अलावा केवल एक लेन हाइब्रिड रखी थी, इसमें कैश एवं फास्टैग दोनों से भुगतान सुविधा दी जा रही थी। 15 जनवरी, 2020 तक हरेक टोल पर केवल 25 प्रतिशत लेन को ही शेष लेन के रूप में रखा जाना तय था। टोल प्लाजा पर लागू सभी रियायतें-छूट जैसे वापसी किराया छूट, स्थानीय छूट, मासिक पास केवल फास्टैग के माध्यम से ही अब मिल सकेंगी।
– हर टोल पर अलग-अलग व्यवस्था
उदयपुर और कोटा सम्भाग के टोल नाकों से शनिवार को गुजरे कुछ वाहन चालकों ने बताया कि उदयपुर से कोटा की ओर जाते समय धनेसर (कोटा) जिले में एक ही हाइब्रिड लेन चालू थी, जिस पर टोलकर्मियों ने कैश पर वापसी यात्रा शुल्क छूट देने से मना कर दिया। बताया कि आरोली (भीलवाड़ा) में भी एक ही लेन चालू थी, जबकि मंगलवाड़ टोल नाके पर कैशलेन थी ही नहीं। यहां फास्टैग लेन में भी वाहनों की कतारें लगी थीं। हरेक गाड़ी को गुजरने में कम से कम 15 मिनट लग रहे थे। बस्सी टोल पर कॉर्नर की बजाय कैशलेन बीच में दे रखी थी, इससे गफलत में लोग फास्टैग लेन में घुस गए। वहां 90 रुपए के टोल शुल्क की तुलना में टोलकर्मी केवल 50 रुपए कैश लेकर उन्हें गुजरने दे रहे थे।
उदयपुर और कोटा सम्भाग के टोल नाकों से शनिवार को गुजरे कुछ वाहन चालकों ने बताया कि उदयपुर से कोटा की ओर जाते समय धनेसर (कोटा) जिले में एक ही हाइब्रिड लेन चालू थी, जिस पर टोलकर्मियों ने कैश पर वापसी यात्रा शुल्क छूट देने से मना कर दिया। बताया कि आरोली (भीलवाड़ा) में भी एक ही लेन चालू थी, जबकि मंगलवाड़ टोल नाके पर कैशलेन थी ही नहीं। यहां फास्टैग लेन में भी वाहनों की कतारें लगी थीं। हरेक गाड़ी को गुजरने में कम से कम 15 मिनट लग रहे थे। बस्सी टोल पर कॉर्नर की बजाय कैशलेन बीच में दे रखी थी, इससे गफलत में लोग फास्टैग लेन में घुस गए। वहां 90 रुपए के टोल शुल्क की तुलना में टोलकर्मी केवल 50 रुपए कैश लेकर उन्हें गुजरने दे रहे थे।
– छूट कैसे मिलेगी?
फास्टैग पर ही रिर्टन छूट की सुविधा की गणना कैसे होगी, यह भी तय नहीं है। न तो प्राधिकरण ने कुछ स्पष्ट किया है और न ही टोल नाके इस सम्बंध में वाहन चालकों को जानकारी देकर संतुष्ट कर पा रहे हैं। क्या उनके फास्टैग खाते में छूट का पैसा 24 घंटे के अन्दर गुजरने से पुन: डाला जाएगा या उन्हें कोई तकनीकी सहायता लेनी होगी, इसका कुछ पता नहीं है। कुछ टोल नाकों पर हाइब्रिड के लिए कोई सूचना-संकेतक बोर्ड भी नहीं लगे हैं।
फास्टैग पर ही रिर्टन छूट की सुविधा की गणना कैसे होगी, यह भी तय नहीं है। न तो प्राधिकरण ने कुछ स्पष्ट किया है और न ही टोल नाके इस सम्बंध में वाहन चालकों को जानकारी देकर संतुष्ट कर पा रहे हैं। क्या उनके फास्टैग खाते में छूट का पैसा 24 घंटे के अन्दर गुजरने से पुन: डाला जाएगा या उन्हें कोई तकनीकी सहायता लेनी होगी, इसका कुछ पता नहीं है। कुछ टोल नाकों पर हाइब्रिड के लिए कोई सूचना-संकेतक बोर्ड भी नहीं लगे हैं।
हां, कैश पर छूट बंद एनएचएआइ ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए यह सुविधा बंद कर दी है। वापसी छूट, मासिक पास जैसी सुविधाएं स्थानीय स्तर पर ही टोल प्लाजा देंगे। इस सम्बंध में उन्हें प्राधिकरण के निर्देशों से अवगत करा दिया गया है।
सुनील यादव, उप महाप्रबंधक, एनएचएआइ
सुनील यादव, उप महाप्रबंधक, एनएचएआइ