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बने आत्मीय रिश्ते, बिछड़े तो छलके आंसू

locationउदयपुरPublished: Nov 28, 2019 08:33:27 pm

बने आत्मीय रिश्ते, बिछड़े तो छलके आंसू
९ दिन तक महिला पार्षदों को रखा एक साथ

बने आत्मीय रिश्ते, बिछड़े तो छलके आंसू

बने आत्मीय रिश्ते, बिछड़े तो छलके आंसू

उदयपुर. नगर निगम महापौर और उपमहापौर का चुनाव निपटने के बाद पिछले ९ दिनों से बाड़ेबंदी में रखे गए पार्षदों को बुधवार को मुक्त कर उनके घर भेज दिया गया। इस दौरान इनको अलग-अलग ४ टीमें बनाकर शहर के बाहर कई जगह दर्शनीय एवं रमणीय स्थलों पर घुमाया गया। सभी महिला पार्षदों को बाडे़बंदी में एक साथ रखा गया, जिससे इनके बीच कम समय में ही पारिवारिक और आत्मीय रिश्ते बन गए।निगम चुनाव में पार्षदों का परिणाम आने के बाद ही भाजपा ने विजयी पार्षदों की बाड़ेबंदी कर दी। इस दौरान इन पार्षदों को कई तीर्थ स्थलों का भ्रमण करवाया गया। बाड़ेबंदी में २० महिला पार्षद को एक साथ रखा गया। बाड़ेबंदी से पहले कई महिलाएं एक दूसरे से परिचित नहीं थी। इन ९ दिनों में इन महिला पार्षदों के बीच कई रिश्तें बन गए। जिसमें कोई दादी, नानी, मौसी, दीदी तो कोई भुआ कहकर आपस में बुलाने लग गई। महिला पार्षदों ने बताया कि कुछ महिलाएं तो राजनीतिक क्षेत्र से थी, जो एक दूसरे को पहचानती थी। कुछ पहले पार्षद रह चुकी थी इसलिए परिचित थी। वही कई महिलाएं पहली बार पार्षद बनी थी वे अपरिचित थी। उनका कहना था कि यादगार अनुभव रहा। सभी आपस में घुल मिल गए। इनके साथ छोटे बच्चे भी थे, जिन्हें सभी मिलकर रखते थे। मौज मस्ती के साथ एक दूसरे की हॉबी जानी। किसी ने गाने गाए तो किसी ने नृत्य किया। कुछ महिला पार्षदों ने कहा कि उन्हंे एनएससी और एनएसएस शिविर की याद आ गई। शादी के बाद पहला मौका था जब इस तरह पीहर ससुराल से दूर बाड़े में बंद रहना पड़ा।परिवार के सदस्य पहुंचे लेनेएक दूसरे से बिछडऩे के कारण इन महिला पार्षदों की आंखें भर आई। वे एक दूसरे के गले मिली। परिवार के सदस्य इन्हंे लेने निगम पहुंच गए। पार्टी पदाधिकारियों ने पार्षदों को उनके परिवार को सुपुर्द कर दिया।

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