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उदयपुर

इस एक कारण से यहां के किसानों को रात भर जागना पड़़ रहा है…द‍िन में भी यही हालात

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उदयपुरDec 14, 2018 / 01:16 pm

madhulika singh

farmer

बदरा को निहारते किसानों के तरसे नयन जैसे कह रहे हो… हे इन्द्रदेव, कब तक करना पडेगा इंतजार

उमेश मेनारिया / मेनार . फसलों को नुकसान से बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। खेतों में चारों और बाड़ बंदी करखेतों में फसलें लहलहा रही है और इस साल अच्छी पैदावार की उम्मीद है, लेकिन जंगलों से निकल खेतों में रोजड़े (नीलगाय) और आवारा मवेशी फसलों को चट करने को आतुर हैंं। इनके साथ ही कपड़ों से बनी झालर, लटकन आदि बांधकर मवेशियों से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
खेतों में बड़ी तादाद में विचरण करने वाले रोजड़ों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। सभी जगहों पर बुवाई हो चुकी है। फसलें बढऩे लगी हैं, वहीं आवारा मवेशियों की परेशानी बढ़ रही है। कड़ाके की ठण्ड में भी किसान रोजड़ों, आवारा मवेशियों से फसल बचाने को मजबूर हैंं। कई किसानों को 24 घंटे निगरानी के लिए धन खर्च कर मजदूर रखने पड़ रहे हैं। किसान इस नुकसान से आहत हैंं, जबकि प्रशासन उदासीन है। रोजड़ों को भगाने के लिए बंदूक, पटाखों का शोर करना पड़ रहा है।
अफीम को नुकसान
सरकारी नियंत्रण में पैदा होने वाली अफीम की फसल जितनी कीमती होती है, उतनी की रखवाली के जतन करने पड़ते हैं। किसानों ने खेत के चारों ओर तारबंदी कर दी है।
कुछ इस तरह हो रहे जतन

रोजड़ों को खेतों से भगाने के लिए किसान पूरी रात चौकीदारी कर रहे हैं। खेतो में चारों और चमकीली रंग बिरंगी पन्नी बांध रहे हैं। बिजूका बनाकर रोजड़ों को भ्रमित कर रहे हैं। कई किसान तो तारबंदी में करंट भी छोड़ रहे हैं, जो हर समय खतरा बनाए हुए हैं।
इन गांवों में अधिक परेशानी
वल्लभनगर तहसील के अनेक गांवों में किसान परेशान हैं। मेनार सहित निकटवर्ती रुंडेरा, नवानिया, केदारिया, खेड़ली, बांसड़ा, खेरोदा, रामाखेड़ा, अमरपुरा खालसा, बांसड़ा के किसान आहत हैं। मेनार से सटे माल, वाना, मेनार नर्सरी की सीमा से सटे बबूल की झाडिय़ों में रोजड़ों का ठहराव रहता है।

कुछ ये उपाय भी कर सकते हैं किसान

– खेत पर फसल के चारों ओर करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मैंथा, एलेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण कर सकते हैं, जिन्हें मवेशी नहीं खाते।
– नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर अन्दर फसलों पर छिड़काव करने से अस्थाई रूप से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है।
– एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है।
– गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय फसल के पास नहीं जाती।
– देशी जीवनाशी मिश्रण बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय दूर भागती हैं।

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