—— किसी वार्ड में नहीं हैं दवाइयों की सूची चिकित्सकों को ये जानकारी ही नहीं है कि डीडीसी पर कौनसी दवा उपलब्ध हैं और कौनसी नहीं। नियमानुसार प्रत्येक वार्ड में उपलब्ध दवाइयों की सूची लगानी आवश्यक है, लेकिन किसी ाी वार्ड में एक ाी सूची लगी हुई नहीं है। कई बार तो चिकित्सक स्वयं पूछते है कि ये दवा उपलब्ध है या नहीं, लेकिन ज्यादातर स्थितियां इसके उलट है, जो दवाएं लि ाी जा रही है, इनमें से अधिकांश दवाएं मरीजों को बाहरी मेडिकल स्टोर से लानी पड़ रही है।
—– सर्दी में ही कफ सिरप पर ताला
सर्दी आने से पहले ही सरकार ने कफ सिरप बैन कर दी, फिलहाल कफ सिरप पड़ी है, लेकिन किसी मरीज को नहीं मिल रही हे। ाास बात ये कि जनवरी माह में सर्द मौसम तेज हो जाता है, लेकिन अ ाी तक वैकल्पिक कॉ िबनेशन आरएमएससी से ही उपलब्ध नहीं हो पाया है। ऐसे में इन मरीजों को ााली बु ाार की दवाएं दी जा रही है। ये सिरप करीब सात माह से बंद है। वर्तमान में सरकार ने करीब 830 प्रकार की दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध करवा र ाी है, इनमें से करीब 630 प्रकार की दवाओं को महाराणा ाूपाल हॉस्पिटल में इस्तेमाल हो रहा है, इनमें से वर्तमान में करीब 580 प्रकार की दवाएं यहां उपलब्ध हैं। —–
ये बोले डीडीसी कार्मिक
– मनोरोग की दवाइयां देने वाले काउन्टर पर बैठी फार्मासिस्ट नीतू नागपाल ने बताया कि उनके स्टोर पर करीब 70 प्रकार की दवाएं नहीं है, यहां मौजूद डेटा एन्ट्री ऑपरेटर ने बताया कि उनके यहां से डिमांड ाी समय पर केवल इसलिए नहीं जा रही है, क्योंकि नेट कनेक्शन बेहद कमजोर है। हालांकि इस डीडीसी पर कौनसी दवाइयां उपलब्ध हैं और कौनसी नहीं इसकी सूची तक उपलब्ध नहीं थी।
– नि:शुल्क दवा का एक स्टोर सं ााल रहे जितेन्द्रसिंह पोशाक में थे, जबकि हैल्पर यशवन्त डे्रस में नहीं थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि उनकी ड्रेस धोने दी है। सिंह ने बताया कि दवाइयां नहीं होने पर लाइफ लाइन स्टोर पर मरीज या परिजन को ोजते हैं, यदि वहां नहीं होती है, तो उन्हें ारीदनी पड़ती है। उन्होंने दवाएं जो उपलब्ध नहीं थी, उसकी सूची पत्रिका को दि ााई। यहां डेटा एन्ट्री ऑपरेटर पूजा ने बताया कि सर्वर में कुछ दिन से समस्या आ रही है, हमने यहां से नेट की समस्या की जानकारी आगे दी है।
– एक अन्य स्टोर पर बैठे हैल्पर सोहनसिंह ने बताया कि हमारे कोई ड्रेस तय नहीं है। यहां फार्मासिस्ट पिंकेश ने बताया कि ये ठेके पर हैं, इसलिए इनके ड्रेस को लेकर अ ाी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। यहां ाी अनुपलब्ध दवाइयों की सूची लगी हुई नहीं थी।
– एक डीडीसी पर मौजूद हैल्पर राहुल ने बताया कि पहले लाइनिंग चेक्स वाली डे्रस थी, लेकिन बाद में हम नहीं पहनते क्योंकि हमें मानदेय कम मिलता है। यहां फार्मासिस्ट दीपशि ाा दाधीच ने बताया कि उनके पास ऑनलाइन सूची है, लेकिन हमने यहां लगा नहीं र ाी है। डेटा एन्ट्री ऑपरेटर ने बताया कि हमने लि िात में दिया है लेकिन नेट की समस्या है, इस कारण समय पर डिमांड नहीं जा पाती।
—– जो ाी दवाएं हमने ऑनलाइन ई-औषधि पर डिमांड ोजी जाती है, हम स ाी को समय पर उपलब्ध करवा रहे हैं, वर्तमान में मनोरोग ओर मेडिसिन की दवाएं कम हैं। इसकी डिमांड ोजी गई है,सरकार से आएगी तो सप्लाई होगी। कुछ जरूरी दवाइयां हम स्थानीय ारीद कर उपलब्ध करवाते हैं।
डॉ विजय गुप्ता – प्र ाारी एमबी सेन्ट्रल ड्रग स्टोर