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उदयपुर के इस अस्पताल के लिए 5 करोड़ मंजूर, लेकिन काम एक भी नहीं हुआ, जानें पूरा मामला

locationउदयपुरPublished: Jun 01, 2019 03:35:51 pm

Submitted by:

Bhuvnesh

पन्नाधाय राजकीय जनाना चिकित्सालय के हाल

भुवनेश पण्ड्या/उदयपुर. संभाग मुख्यालय स्थित पन्नाधाय राजकीय जनाना चिकित्सालय के काया कल्प के लिए सरकार की ओर से पांच करोड़ रुपए की मंजूरी के बावजूद हालात जस के जस है। जर्जर हॉस्पिटल की मरम्मत को लेकर इसे खाली करवाने के बाद जैसे-तैसे जनाना हॉस्पिटल चलाते हुए करीब एक वर्ष हो गया है, लेकिन एक कील तक नहीं ठोकी गई है।
जनाना हॉस्पिटल को जून, 2018 में खाली किया गया था। अक्टूबर, 18 में राज्य सरकार के माध्यम से आईआईटी रूडक़ी से इंजीनियर्स का एक दल यहां पहुंचा। इसके बाद दल ने अपनी रिपोर्ट दी। राशि की स्वीकृति मिले भी कई माह बीत गए हैं, लेकिन इस भवन के काया पलट का सभी को इन्तजार है। मरीज परेशान हैंं तो चिकित्सकों से लेकर स्टाफकर्मियों का यहां-वहां दौड़-दौडक़र बुरा हाल है।पुराने भवन में पत्रिका टीम पहुंची तो पाया कि इसमें अभी तक कोई निर्माण या मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है। दीवारे उधड़ी हुई हैं तो छत उखड़ी हुई। हाल बड़े खराब हैं।
पांच अलग-अलग भवनों में चलाया जा रहा है हॉस्पिटल
परीक्षा हॉल भवन, इसमें अपने पोस्ट डिलीवरी वार्ड, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी और गायनी वार्ड के सर्जरी के लिए तैयार करते हैं। तीसरे माले में ऑफिस चल रहा है।
लेबर रूम- जिसे कोटेज और अटैच वार्ड में और पांच और छह नम्बर वार्ड में चलाया जा रहा है। साथ ही यहां ऑपरेशन थियेटर भी संचालित है।पुराने जर्जर भवन में दो वार्ड आठ और नौ चल रहे हैं। महाराणा भूपाल हॉस्पिटल का वार्ड नम्बर 11 डी और गायनी ओटी, कोटेज में छह कक्ष को भी उधारी खाते ले रखा है।
सेटेलाइट हॉस्पिटल – सुन्दर सिंह भंडारी हॉस्पिटल चांदपोल और खेमराज कटारा हॉस्पिटल हिरणमगरी में दो यूनिट संचालित हैं। यहां दोनों में एक-एक प्रोफेसर बैठते हैं। दोनों हॉस्पिटलों में 50-50 बेड ले रखे हैं।

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केस 1. दर्द
जनाना हॉस्पिटल के जर्जर भवन के पीछे के हिस्से पर बने ढलान से कराहती गर्भवती को ट्रॉली से धकेलते परिजन और स्टाफकर्मी, जैसे ही सडक़ पर उतरे तो बीच मेंं एक चार पहिया वाहन खड़ा था। इधर, गर्भवती को जल्द वार्ड तक ले जाना था। सडक़ के बीच में वाहन और लोगों की भीड़ के कारण समस्या हो रही थी। परिजनों में से कुछ चिल्लाकर गाड़ी हटाने के लिए कह रहे थे। जैसे-तैस गाड़ी हटी तो गर्भवती को परिजन लेकर आगे बढ़े।
(इस भवन के ऊपरी हिस्से में दो वार्ड संख्या आठ और नौ चलाए जा रहे हैं।) (पत्रिका के पास सभी वीडियो उपलब्ध)
केस 2. परेशानी
पुराने भवन से हटाने के बाद जहां लेबर रूम चलाया जा रहा है, उसके बाहर का दृश्य। जिले के अलग-अलग स्थानों से आए मरीज और उनके परिजनों का एक निर्माणाधीन भवन के नीचे डेरा। वे जैसे-तैसे यहां पर समय काटते हैं। नीचे धूल- मिट्टी और सीमेंट बिखरा हुआ है। कुछ लोग अपने साथ चटाइयां लेकर पहुंचे थे, वे इसे यहां-वहां बिछाकर लेटे थे।

केस 3. फेरे
जिस नए भवन में वार्ड शिफ्ट किए गए हैं, वहां तक मरीजों के परिजनों का आना-जाना तो बाहरी हिस्से में बगैर व्यवस्था के तेज धूप में टीनशेड के नीचे शरण लिए हुए बैठे रहना। जैसे ही लेबर रूम से प्रसव के बाद प्रसूता को यहां शिफ्ट करेंगे तो पूरे डेरे वहां से इस भवन के सामने लाने होंगे।
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