विरोधाभासी जवाब पर न्यायालय ने बैंक की सेवा को लापरवाहीपूर्वक व दोषपूर्ण माना। स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष केबी कट्टा व सदस्य सुशील कोठारी व बृजेंद्र सेठ ने बैंक को आदेश दिया कि वह परिवादी को उसके खाते से काटे गए 10 हजार रुपए लौटाने के साथ ही 5 हजार रुपए वाद खर्च व मानसिक प्रताडऩा के अलग से अदा करें।
न्यायालय ने यह निर्णय मैसर्स टीएमई होटल्स एंड रिसोट्र्स जरिये भागीदार विजयसिंह कृष्णावत बनाम आईसीआईसीआई बैंक उदयपोल के मामले में दिया।
न्यायालय ने यह निर्णय मैसर्स टीएमई होटल्स एंड रिसोट्र्स जरिये भागीदार विजयसिंह कृष्णावत बनाम आईसीआईसीआई बैंक उदयपोल के मामले में दिया।
READ MORE: उदयपुर हॉस्पीटल में यूं होता है खून का सौदा, पत्रिका ने खंगाला तो ये हैरान कर देने वाली बातें आयी सामने, देखें वीडियो
गुलाबबाग स्थित टीएमई होटल्स की ओर से कृष्णावत ने वाद में बताया कि होटल का बैंक में करंट खाता है। नोटबंदी के समय 17 नवंबर 2016 को एक साथ 9 लाख रुपए जमा करवाए थे। बैंक अधिकारी ने सभी नोटों को गिनकर उसकी रसीद भी दी थी। नवंबर 2016 के स्टेटमेंट में इस राशि को जमा करना भी दर्शाया गया। बाद में दिसंबर 2016 के स्टेटमेंट में विपक्षी ने एक हजार के 10 नोट होना कम बताकर खाते में 10 हजार रुपए काट लिए। परिवादी का कहना था कि बैंक को बिना सूचित किए 15 दिन के बाद राशि कम करने का कोई अधिकार नहीं था।
गुलाबबाग स्थित टीएमई होटल्स की ओर से कृष्णावत ने वाद में बताया कि होटल का बैंक में करंट खाता है। नोटबंदी के समय 17 नवंबर 2016 को एक साथ 9 लाख रुपए जमा करवाए थे। बैंक अधिकारी ने सभी नोटों को गिनकर उसकी रसीद भी दी थी। नवंबर 2016 के स्टेटमेंट में इस राशि को जमा करना भी दर्शाया गया। बाद में दिसंबर 2016 के स्टेटमेंट में विपक्षी ने एक हजार के 10 नोट होना कम बताकर खाते में 10 हजार रुपए काट लिए। परिवादी का कहना था कि बैंक को बिना सूचित किए 15 दिन के बाद राशि कम करने का कोई अधिकार नहीं था।
READ MORE: नोटबंदी का एक साल: उदयपुर में रहे ये हालात, इन उद्योगों पर पड़ा बूरा असर इस संबंध में जब बैंक को नोटिस दिया तो बैंक ने 40 दिन के बाद दिए जवाब में 10 नोट काउंटरफिट (नकली नोट) होना बताकर राशि काटना बताया। परिवादी का कहना था कि जमा करवाए नोट मशीन से गिनकर लिए थे। यदि कोई नोट नकली, फर्जी, खराब या बोगस होते तो मशीन उसे रिजेक्ट कर देती।
नकली थे तो था संज्ञेय अपराध-कोर्ट
न्यायालय ने बैंक की सेवा को दोषपूर्ण मानते हुए कहा कि अगर नोट नकली थे तो ऐसी स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 239 से 243 के अधीन एक गंभीर प्रकृति का संज्ञेय, अजमानती, अक्षमनीय, आपराधिक अपराध की श्रेणी में आने वाला विषय था जिसके लिए नोटों को जब्ती करना आवश्यक था।
न्यायालय ने बैंक की सेवा को दोषपूर्ण मानते हुए कहा कि अगर नोट नकली थे तो ऐसी स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 239 से 243 के अधीन एक गंभीर प्रकृति का संज्ञेय, अजमानती, अक्षमनीय, आपराधिक अपराध की श्रेणी में आने वाला विषय था जिसके लिए नोटों को जब्ती करना आवश्यक था।