चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक ने हाल ही आदेश जारी कर नई रिवाइज्ड डिस्चार्ज पॉलिसी को घेाषित किया है। इसमें मरीजों को विभिन्न अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। – माइल्ड, वेरी माइल्ड, प्री सेम्प्टमेटिक केस: माइल्ड, वेरी माइल्ड, प्री सेम्प्टमेटिक केस को अनिवार्य रूप से कोविड केयर फेसिलिटी में भर्ती करना होगा। यहां नियमित रूप से उनका तापमान देखा जाएगा और ऑक्सीमेट्री से उनकी पल्स यानी नाडी टेस्ट की जाएगी। मरीज को दस दिन बाद डिस्चार्ज किया जा सकेगा। ये देखा जाएगा कि उसे तीन दिन तक कोई बुखार नहीं है और कोई आईएलआई के लक्षण नहीं है। डिस्चार्ज से पहले जांच की कोई जरूरत नहीं रहेगी। डिस्चार्ज से पहले मरीज को ये सुनिश्चित कराना होगा कि वह स्वयं आइसोलेशन यानी अलग से रहेगा। वह अपने घर पर भी सात दिन तक खुद के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखेगा।
– यदि मरीज सामान्य रूप से श्वास ले पा रहा है तो उसे कोविड केयर सेंटर से डिस्चार्ज कर डेडिकेटेड कोविड हैल्थ सेंटर पर भेजा जा सकेगा। यदि डिस्चार्ज करने के बाद मरीज में कोई बुखार या अन्य लक्षण नजर आते हैं, जैसे कफ, श्वास लेने में परेशानी तो कोविड केयर सेंटर या स्टेट हेल्पलाइन नम्बर 1075 पर संपर्क किया जा सकेगा। जिसे नियमित 14 दिन तक पूरे नियमों में रखा जाएगा।
– यदि मरीज सामान्य रूप से श्वास ले पा रहा है तो उसे कोविड केयर सेंटर से डिस्चार्ज कर डेडिकेटेड कोविड हैल्थ सेंटर पर भेजा जा सकेगा। यदि डिस्चार्ज करने के बाद मरीज में कोई बुखार या अन्य लक्षण नजर आते हैं, जैसे कफ, श्वास लेने में परेशानी तो कोविड केयर सेंटर या स्टेट हेल्पलाइन नम्बर 1075 पर संपर्क किया जा सकेगा। जिसे नियमित 14 दिन तक पूरे नियमों में रखा जाएगा।
– मोडरेट केसेज: मोडरेट केसेज को डेडिकेटेड कोविड हैल्थ सेंटर पर ऑक्सीजन बिस्तर पर रखा जाएगा। यदि मरीज के लक्षण तीन दिन में ठीक हो जाते हैं और वह सामान्य तरीके से श्वास ले पाता है तो चार दिन में तो उसे मोडरेट केस माना जाएगा, इसे दस दिन में डिस्चार्ज किया जा सकेगा, लेकिन यदि उसे ऑक्सीजन की जरूरत है और बुखार तीन दिन में ठीक नहीं हो रहा तो उसे भर्ती ही रखा जाएगा।
– इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड केस: यदि कोई एचआईवी मरीज है, किसी को पहले किसी अंग का ट्रांसप्लान्ट हो चुका है या कमजोर है, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य से कम है, यानी प्रतिरक्षा में अक्षम है तो ये देखा जाएगा कि उसकी क्लिनिकल रिकवरी कैसी है। जांच में मरीज एक बार नेगेटिव आना अनिवार्य है। साथ ही उसमें कोई लक्षण नहीं हो।
– इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड केस: यदि कोई एचआईवी मरीज है, किसी को पहले किसी अंग का ट्रांसप्लान्ट हो चुका है या कमजोर है, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य से कम है, यानी प्रतिरक्षा में अक्षम है तो ये देखा जाएगा कि उसकी क्लिनिकल रिकवरी कैसी है। जांच में मरीज एक बार नेगेटिव आना अनिवार्य है। साथ ही उसमें कोई लक्षण नहीं हो।
गाइड लाइन का अनुसरण
नियमानुसार हम मरीजों को पूरी जांच परख के बाद डिस्चार्ज कर रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो। गाइडलाइन का पूरी तरह से अनुसरण कर रहे हैंं।
नियमानुसार हम मरीजों को पूरी जांच परख के बाद डिस्चार्ज कर रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो। गाइडलाइन का पूरी तरह से अनुसरण कर रहे हैंं।
डॉ. आरएल सुमन, अधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल, उदयपुर