READ MORE: राजस्थान की ये महिला बनी स्वच्छता ही सेवा चैम्पियन, देश में पेश की मिसाल, आप भी सुनेंगे इसकी कहानी तो करेंगे गर्व. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. विजय श्रीमाली ने कला महाविद्यालय के कार्मिक कर्मचारी भंवर सिंह का उदाहरण रखा और बताया कि कैसे वह दिव्यांग होते हुए भी अपनी कार्यकुशलता के आधार पर सभी कामों को कुशलता पूर्वक करते हैं। विश्वविद्यालय के प्रत्येक डीन उनके साथ काम करने में गर्व की अनुभूति करता है। नाटक के कलाकारों में अपनी प्रस्तुति से सभी दर्शकों को दिव्यांगों के प्रति सोचने व उन्हें समझने का एक नया विचार सबके सामने प्रस्तुत किया। नाटक बदलाव समूह के कलाकार सोनू साफी ने मंदबुद्धि बालक का किरदार ,हेमा रावत ने मां की भूमिका,भूपेंद्र ने पैर विहीन बालक व पूजा रावत ने नेत्रहीन बालिका की भूमिका निभाई।
READ MORE: ILLEGAL ARMS LICENSE CASE: उदयपुर पुलिस को जयपुर व सीकर के आंकड़ों ने चौंकाया, अब खुलासे में जुटी साथ ही नाटक की सूत्रधार अंजुल ने दिव्यांगों के कई उदाहरण देते हुए दर्शकों को उनकी विशेषता बताई और समाज की मुख्यधारा में उन्हें जोड़ने का आह़वान किया। कलाकार कन्हैया , अमृत व दिनेश भारतीय ने अपनी भूमिका बख़ूबी निभाई। डॉ नीता त्रिवेदी ने बताया कि हम पिछले कई वर्षों से सामाजिक सरोकार से सम्बन्धित नुकड़ नाटकों का समय- समय पर विश्व विद्यालय में आयोजन करते आये हैं। आगे भी इसी तरह के सामाजिक विषयों पर नाटक का मंचन करते रहेंगे।