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अब मिलेगी राशन की अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी

locationउदयपुरPublished: Dec 07, 2019 10:22:25 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड लागू होने से पलायनकर्ता ‘परदेस’ में भी ले सकेंगे फायदा, पूरे देश में पौने दो करोड़ लोग करते हैं पलायन

अब मिलेगी राशन की अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी

अब मिलेगी राशन की अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी

जितेन्द्र पालीवाल @ उदयपुर. मोदी सरकार की ‘एक राष्ट्र एक मानक’ सोच के तहत लागू किए जा रहे ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्डÓ का फायदा परदेस में पलायनकर्ता गरीब-मजदूर वर्ग को सबसे ज्यादा होगा। सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी की सुविधा देने जा रही है। पूरे देश में एक से दूसरे राज्य में करीब पौने दो करोड़ लोग पलायन करते हैं।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कहना है कि सभी राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों की मदद से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 (एनएफएसए) के तहत लाभों की पोर्टेबिलिटी की राष्ट्रव्यापी शुरुआत की जा रही है। एक राशन कार्ड योजना के जरिये एनएफएसए के तहत कवर किए गए परिवार, लाभार्थी मूल राज्य की एफपीएस पर इलेक्ट्रॉनिक प्वॉइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) डिवाइस पर बायोमैट्रिक या आधार प्रमाणन के बाद एक ही राशन कार्ड का उपयोग करते हुए देश के किसी भी राज्य में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से अपनी पात्रता के आधार पर खाद्यान्न प्राप्त कर सकेंगे। इस पहल के अंतर्गत अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी की सुविधा सिर्फ पूरी तरह ई-पीओएस डिवाइस से लैस उचित मूल्य की दुकानों पर उपलब्ध होगी। सरकार का मानना है कि यह प्रणाली प्रवासी लाभार्थियों जैसे देशभर में रोजगार की तलाश में अथवा अन्य कारणों से अपने निवास स्थान में बदलाव करने वाले श्रमिकों, दिहाड़ी मजदूरों, अन्य कामगारों के लिए लाभदायक साबित होगी।
– राज्यों में पहले से लागू
राजस्थान के साथ ही कई राज्यों में करीब डेढ़ साल पहले ही राशन के लिए पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू की गई थी। इसका मकसद सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन डीलरों के स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार को रोकना था। कई डीलर खाद्यान्न लाभ नहीं लेने वाले परिवारों के नाम का केरोसिन, गेहूं, चीनी और अन्य राशन बाजार में ऊंचे दामों पर बेच देते थे। उसका इन्द्राज अनपढ़, गरीब और अनजान लोगों के राशन कार्ड में कर देते थे। कई लाभान्वित खुद अपनी सहमति से राशन बिकवा देते थे। खाद्यान्न हरेक व्यक्ति तक पहुंचे, इसकी सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए बायोमैट्रिक पहचान सुनिश्चित करने की प्रक्रिया के तहत पीओएस शुरू किया गया। दूरस्थ इलाकों में अब भी मोबाइल नेटवर्क नहीं चलने से ऑफलाइन भी राशन देने की व्यवस्था है, लेकिन नई व्यवस्था से घपलों पर काफी अंकुश लगा है।
– अतिरिक्त कोटा नहीं मिलेगा तो दिक्कत
सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े लोगों का मानना है कि इस व्यवस्था में एक समस्या यह हो सकती है कि उचित मूल्य की दुकान में स्टॉक खत्म होने पर लाभान्वितों को भटकना पड़ेगा। आमतौर पर उचित मूल्य की दुकान पर उस क्षेत्र के लोग ही राशन लेने आते हैं। इसके लिए उन्हें रसद विभाग की ओर से उस इलाके के लाभान्वित परिवार या व्यक्ति के आधार पर ही निश्चित खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाता है। एक तय कोटे का राशन खत्म होने से प्रवासी मजदूरों को समस्या हो सकती है।
– कहां से कहां हो रहा पलायन
आजीविका ब्यूरो के मुताबिक देश में उत्तरप्रदेश से दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा व गुजरात, हरियाणा व मध्यप्रदेश से दिल्ली, राजस्थान से महाराष्ट्र व गुजरात, ओडिशा से गुजरात व केरल, उत्तरप्रदेश व बिहार से महाराष्ट्र, बिहार से पश्चिम बंगाल, पश्चिम बंगाल से आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु से केरल तथा आन्ध्रप्रदेश से केरल की ओर लोग मजदूरी, रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं।
– अनुमानित आंकड़े –
1.70 करोड़ से ज्यादा लोग देश में करते हैं पलायन
70 लाख से ज्यादा पलायित लोग निर्माण क्षेत्र में करते हैं काम
50 लाख से ज्यादा लोग घरेलू नौकरी के लिए करते हैं पलायन
22 लाख से ज्यादा लोग कपड़ा मिलों में काम करने छोड़ते हैं घर
20 लाख से अधिक लोग बाहरी राज्यों में ईंट-भट्टों पर करते हैं काम
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निश्चित तौर पर लाखों पलायित मजदूरों को इस योजना का लाभ मिलेगा। राजस्थान से भी बड़ी तादाद में पड़ोसी गुजरात व महाराष्ट्र में लोग काम की तलाश में जाते हैं, जो अब राशन की चिंता से मुक्त रह सकेंगे।
ज्योति काकवानी, जिला रसद अधिकारी, उदयपुर
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