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video : मेवाड़ में पकने लगा काला सोना, लेकिन इस वजह से क‍िसान हो रहे हैंं परेशान

locationउदयपुरPublished: Feb 20, 2018 06:39:45 pm

Submitted by:

madhulika singh

प्रतापगढ़ जिले से सटे उदयपुर जिले के कुछ हिस्सेे में वर्षों से अफीम की खेती होती आ रही है । लिवाई के समय अफीम तस्कर भी इन इलाकों में सक्रिय होते हैं।

afeem ki kheti
चंदनसिंह देवड़ा,कमलाशंकर श्रीमाली/ उदयपुर . उदयपुर और चित्ताैड़ क्षेत्र में अफीम की खेती पकनी शुरू हो गई है। काला सोना के नाम से जाने जानी वाली इस खेती के तहत अफीम काश्तकारों ने लिवाई का काम शुरू कर दिया है। हालांकि किसान मारफीन की वजह से अभी से परेशान नजर आ रहे हैंं वहीं अफीम तस्करों की भी इन इलाकों में चहल-पहल बढ़ जाएगी।
प्रतापगढ़ जिले से सटे उदयपुर जिले के कुछ हिस्सेे में वर्षों से अफीम की खेती होती आ रही है । लिवाई के समय अफीम तस्कर भी इन इलाकों में सक्रिय होते हैं। ऐसे में पुलिस और नारर्कोटिक्स डिपार्टमेंट भी सर्तक रहते हैं। वल्लभनगर क्षेत्र के कुछ गांवों में भी अफीम की खेती होती है जिसमें धारता, बासड़ा, चारगदिया, अमरपुरा खालसा, मेनार, रूण्डेड़ा , नवानिया, वाना , सालेड़ा, सारंगपुरा , पीथलपुरा, लूणदा पंचायतों के दर्जनों गांवों में काला सेाना बोया गया है । कृष‍ि अधिकारी मदन सिंह शक्तावत ने बताया क‍ि गत साल से 40 हेक्टेयर बढ़़ाकर 150 हेक्टेयर जमीन पर अफीम की बुवाई की गई। कानोड़ के पास सारंगपुरा, लूणदा व पिथलपुरा में कुछ गांवों में खेतों में लिवाई का कार्य शुरू हो चुका है।
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कानोड़ में काश्तकार माताजी का पूजन करने के बाद अफीम के डोडों के चीरे लगाकर इसका दूध एकत्रित कर रहे हैं। हालांकि अभी कुछ खेतों में थोड़े दिनों बाद लिवाई का कार्य शुरू होगा । अफीम काश्तकार लंबे समय से इस फसल को नीलगाय से बचाने के लिए दिन रात खेतों पर ही रहकर रखवाली कर रहे थे। अब जाकर उन्हें थोड़ी राहत महसूस हो रही है कि काला सोने पकने को आ गया है। दूध का पतलापन होने से लिवाई कर रहे किसानों को चरपले से दूध जमीन पर गिरने से बचाने के लिए बर्तन को साथ रखना पड़ रहा है, जिसे लिवाई कार्य को गत‍ि नहीं मिल पा रही है । किसान सुबह 7 बजे से 10 बजे तक इस काम को कर पा रहे हैं। सारंगपुरा सरपंच उदयलाल जाट ने बताया कि मारफीन की शंका से किसान आहत हैंं । अगर सरकार मारफीन की मार किसान से हटाती है तो उसका लाइसेंस सुरक्षित रह सकता है।
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