ग्रामीणों ने बताया कि शनिवार की रात को एक पैंथर पहाड़ी के रास्ते से होते हुए सुथार मोहल्ले में घुस गया। जहां करीब 20 मिनट तक रुका रहा। जिससे ग्रामीण डर के मारे घरों की छतों पर चढ़ गए। इसके बाद पैंथर वन विभाग की नर्सरी में चला गया। जहां नर्सरी में कार्यरत चौकीदार ने टार्च व लकड़ी से पैंथर को भगाने का प्रयास किया, लेकिन पैंथर वहां से नहीं हिला। उसके बाद चौकीदार ने हिम्मत दिखाते हुए पैंथर को वहां से भागने के लिए मजबूर किया तो वह वहां से चला गया। तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
इधर, सलूम्बर वनखण्ड के वेण गांव में नाया पुत्र लखमा मीणा के बाड़े में बंधी छह बकरियां, एक बकरा और शिवलाल पुत्र कानजी मीणा के एक गाय के बछड़े का शिकार कर दिया। उसी दिन पैंथर वीण गांव में शिकार कर पहाड़ी से झल्लारा क्षेत्र के घटेड़ ग्राम पंचायत के ठुठा महुड़ा गांव में आ गया। जहां वक्ता पुत्र सवा मीणा के बाड़े में घूसकर एक भैड़ का शिकार कर दिया। वहीं उसके एक दिन बाद पैंथर ने फिर दस्तक दी। जहां डाया पुत्र धूला मीणा के बाड़े में बंधी बकरी का शिकार कर दिया। वहीं धोलागिर खेड़ा ग्राम पंचायत के केनर गांव में भी शौच के लिए जा रही महिला पर हमला कर घायल कर दिया था। जिसको लेकर राजस्थान पत्रिका सोमवार के अंक में ‘ग्रामीण बैठकर रात गुजारने को मजबूर’ खबर प्रकाशित कर वन विभाग का ध्यान आकर्षित किया। जिस पर क्षेत्रीय वन अधिकारी नटवरसिंह शक्तावत ने दोनों जगह मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली।
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जहां पैंथर के रहने की जगह है, वहां पहाडिय़ों पर ग्रामीण बसे हैं। हमने ग्रामीणों से कहा कि गांंवों में अपने पुराने मकानों में मवेशियों बांधें। पैंथर आबादी क्षेत्र में पानी की तलाश में आता है, झल्लारा में पैंथर आया था वो अलग था, वहीं वेण के जंगलों में एक पैंथर अपने दो शावकों के साथ घूम रहा है। जंगल बहुत बड़ा है, वेण में शिकार करने केे बाद पैंथर ने ठुठा महुड़ा में दो बकरियों का शिकार किया। सभी मृत बकरियों का पोस्टमार्टम करवा दिया है। केनर में महिला का मेडिकल करवाया है, रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी। सभी को मुआवजा मिलेगा, गार्ड नियुक्त कर रखा है, शाम को पटाखे फोडकऱ निगरानी कर रहे हैंं।
नटवरसिंह शक्तावत, रेंजर, सलूम्बर