मौके के हालात साफ बयां कर रहे थे कि पैंथर के शिकार की कोशिश की गई। पिछले कुछ महीनों से उदयपुर जिले में शिकार की कई घटनाएं हुईं, लेकिन एक भी आरोपी में पकड़ में नहीं आया। बाघदड़ा नेचर पार्क के समीप एक फास्फेट फैक्ट्री के माता जी के मंदिर के पीछे एक पैंथर झाडिय़ों में फंसा हुआ था और कराह रहा था। वहां मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम में आए लोगों ने पैंथर की आवाज सुनी और देखा तो वह फंसा हुआ था, उन्होंने वन विभाग को सूचना दी। पैंथर गाड़ी के क्लच वायर में फंसा हुआ था।
बाद में वाइल्ड लाइफ व वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंची, जहां उसे ट्रेंक्यूलाइज करके रेस्क्यू किया गया। करीब 12 साल के नर पैंथर को बाद में चिकित्सालय ले गए। रेस्क्यू के दौरान जितेंद्र सिंह देवड़ा, डीपी शर्मा, दिग्विजयसिंह, लक्ष्मी मीणा, मनोज चंदेल, सुरेश चौबीसा, उमरड़ा सरपंच हीरालाल, उमरड़ा चौकी से समुंदर सिंह भाटी आदि मौजूद थे।
उदयपुर में मौत
जंगल में पैंथर का पांव इस कदर फंसा था कि उसने बचकर निकलने के तमाम प्रयास कर दिए, लेकिन वह नहीं निकल पाया। बताते हैं कि रात भर पैंथर उसमें फंसा रहा और कराहता रहा। इन हालात के बाद उसे रेस्क्यू कर उदयपुर बायो पार्क लाए, वहां चिकित्सकों ने उपचार शुरू किया, लेकिन वह बच नहीं सका। पैंथर का पोस्टमार्टम सोमवार को कर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
उदयपुर में मौत
जंगल में पैंथर का पांव इस कदर फंसा था कि उसने बचकर निकलने के तमाम प्रयास कर दिए, लेकिन वह नहीं निकल पाया। बताते हैं कि रात भर पैंथर उसमें फंसा रहा और कराहता रहा। इन हालात के बाद उसे रेस्क्यू कर उदयपुर बायो पार्क लाए, वहां चिकित्सकों ने उपचार शुरू किया, लेकिन वह बच नहीं सका। पैंथर का पोस्टमार्टम सोमवार को कर अंतिम संस्कार किया जाएगा।

इधर, पहले ही जयसमंद क्षेत्र में जंगली जानवर के शिकार के लिए लगाए फंदे में पैंथर फंस गया और उसकी मौत हो गई थी ।डबोक-उदयपुर हाइवे पर अज्ञात वाहन की टक्कर से पैंथर की मौत हो गई थी। वर्ष 2019-20 से 2020-21 तक सीसीएफ वन्यजीव उदयपुर में 38 तथा उदयपुर संभाग के प्रादेशिक वन मंडल में 25 शिकार के मामले हुए।