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तोते भी अफीम के शौकीन, खेतों में ही डेरा

locationउदयपुरPublished: Mar 19, 2021 06:06:23 pm

Submitted by:

surendra rao

डोडे बचाने के लिए जालियों से ढंकना मजबूरी, किसानों की चिंता बढ़ी

Parrots are also fond of opium

तोते भी अफीम के शौकीन, खेतों में ही डेरा

मेनार. (उदयपुर).मेवाड़-मालवा और हाड़ौती के अफीम खेतों में इन दिनों अफीम की फसल पक गई है। जिसमें चिराई-लिवाई कर अफीम निकालने का काम चल रहा है। एक तरफ फसल में बीमारी का प्रकोप तो वहीं अफीम खाने वाले तोते भी खूब परेशान कर रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक तोते अफीम के खेतों के आसपास मंडराते रहते हैं। मौका मिलते ही फुर्ती से अफीम के डोडे को तोड़कर उसे अपनी चोंच में दबाकर ले जाते हैं। स्थिति यह है कि वे अब इतने नशेड़ी हो चुके हैं कि किसानों ने खेतों के ऊपर जालियां लगा रखी है उसमें भी नीचे से प्रवेश कर जाते हैं। खास बात है कि अफीम का नशा करने के बाद खेतों के आसपास पेड़ों पर ही मंडराते रहते हैं। एेसे में अब किसानों को फसल की सुरक्षा में दिन और रात खेतों में ही गुजारने पड़ रहे हैं। कई किसानों ने तो खेतों पर तिरपाल – झोपडिय़ां बना ली हैं, जिसमे ये दिन-रात रहकर रखवाली कर रहे हैं।
तस्करों से भी खतरा: अफीम की फसल पर फूल और डोडा और लुवाई के काम आते ही अफीम तस्करों से भी किसानों को खतरा बढ़ जाता है। हालांकि मवेशियों और प्राकृतिक प्रकोप से भी खतरा कम नहीं होता है। किसानों ने मवेशियों से फसल की सुरक्षा के लिए तारबंदी, लोहे की जालियां लगा दी हैं। सबसे ज्यादा चिंता तोतों की है जो डोडा तोड़कर ले जाते हैं।
रस्सी से अफीम पौधों को बांधा : खेतों में अधिक नमी और हवा से अफीम की फसल आड़ी नही पड़े इसलिए किसानों ने बड़ी मुश्किल से पौधों को भी रस्सी से बांध लिया है। खेतो की क्यारियों में डंडे रोपकर आपस मे रस्सियां बांध दी है जिसके सहारे पौधा खड़ा रहे और वजन से हवा से फसल खेत मे आड़ी नही पड़े।

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