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उदयपुर जिले के तोतों को लग गई ये लत: हर सुबह ये तोते खाते हैं अफीम

locationउदयपुरPublished: Feb 12, 2019 11:41:08 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

रोजड़ों के बाद किसान परिवार के लिए नई समस्या, तोते भगाने के लिए किसान परिवारों को करनी पड़ती है मेहनत

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उदयपुर जिले के तोतों को लग गई ये लत: हर सुबह ये तोते खाते हैं अफीम

डॉ. सुशील सिंह चौहान/ उमेश मेनारिया. उदयपुर/मेनार. आश्चर्य ही है! मिर्ची के शौकिन माने जाने वाले तोतों को उदयपुर में ‘अफीमÓ का चस्का लग गया है। उदयपुर में ‘बर्ड विलेजÓ के नाम से मशहूर मेनार क्षेत्र में तोतों की एक बिरादरी खेतों में खड़ी अफीम (काला सोना) फसल के डोडे फूल को खाने की अभ्यस्त हो गई है। बड़ी तादात में ये तोते खेतों में अफीम के फूल यानी डोडे को खाने में लगे हैं। पक्षियों के इस शौक ने किसानों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है। पहले रोजड़े, आवारा मवेशी और चूहों के बाद अफीम किसानों को तोतों से चुनौती मिल रही है। समस्या त्रस्त किसान अब फसल को बचाने के लिए पूरे परिवार की मदद ले रहा है। खेत के चारों ओर किसान परिवार दिनभर तोतों को उड़ाने में लगा रहता है। आलम इस कदर है कि खेत सूना दिखते ही सुबह के समय ये तोते डोडे के फूल को नुकसान पहुंचाने में लग जाते हैं।
परवान पर खेती
मेनार कस्बे सहित वल्लभनगर उपखण्ड क्षेत्र में काला सोना यानी अफीम की खेती इन दिनों परवान पर है। खेतों में अफीम फसल लहरा रही है। सफेद फूलों से खेत दिखने में टूलिप गार्डन जैसे बन गए हैं। कई जगहों पर किसानों की ओर से डोडे पर चीरा लगाकर अफीम निकालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। लेकिन, इंसानों को लुभा रही ये खेती अब पक्षियों में सबसे सीधा माने जाने वाले तोतों को भी खूब रास आ रही है। सुबह ५ से ७ बजे के बीच भूखे तोते इन फूलों को खाकर मस्त हो रहे हैं। बड़ी तादाद में एक साथ धावा बोलने वाले तोते खेत में खड़ी फसल से पूरा डोडा ही तोड़ ले जाते हैं। समस्या से मेनार, वाना, अमरपुरा, खालसा, खेरोदा, इंटाली व वल्लभनगर के किसान परेशान हैं।
तारबंदी के बाद जालियां
फसल को रोजड़ों से बचाने के लिए किसानों को तारबंदी करने की अनिवार्यता बढ़ गई है तो तोतों की मौजूदगी से परेशान किसान फसल को बचाने के लिए पूरे खेत में जालियां लगवा रहे हैं। फसल को लुटरों से बचाने के लिए भी किसान को पूरी रात खेतों में जगकर गुजारनी पड़ती है। अफीम किसान उमाशंकर कानावत ने बताया कि तारबंदी के साथ जाली लगाने में हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं। मौसमी बीमारी की समस्या फसल के लिए पहले ही चुनौती बनी हुई है।
कितना ही बचाओ
अकेले मेनार क्षेत्र में 72 अनुज्ञधारी अफीम किसान हैं। झुंड में आने वाले तोते डोडे और फूल को आधा खाकर बेकार कर देते हैं। कितना भी बचाओ दिन में 8 से 10 डोडे खराबे में जाते हैं। इन समस्याओं से उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया है।
हिम्मत भलावत, मुखिया, अफीम किसान क्षेत्र मेनार(खण्ड चितौडग़ढ़)
विभाग करेगा आंकलन
अफीम फसलों के नुकसान का आंकलन नारकोटिक्स विभाग से गठित दल के माध्यम से ही होता है। हमारे हाथ में कुछ नहीं होता।
मदन सिंह शक्तावत, कृषि अधिकारी, ब्लॉक भींडर

एडिक्शन है वजह
एक बार डोडा खाने के बाद तोते, पक्षियों, बंदरों में एडिक्शन होने लगता है। पक्षी और पशु शरीर २४ घंटे के अंतराल में एक बार फिर इसकी डिमांड करता है।
प्रो. आर.के. नागदा, एनीमल फिडिंग एंड जेनेटिक्स
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