फसल को रोजड़ों से बचाने के लिए किसानों को तारबंदी करने की अनिवार्यता बढ़ गई है तो तोतों की मौजूदगी से परेशान किसान फसल को बचाने के लिए पूरे खेत में जालियां लगवा रहे हैं। फसल को लुटरों से बचाने के लिए भी किसान को पूरी रात खेतों में जगकर गुजारनी पड़ती है। अफीम किसान उमाशंकर कानावत ने बताया कि तारबंदी के साथ जाली लगाने में हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं। मौसमी बीमारी की समस्या फसल के लिए पहले ही चुनौती बनी हुई है।
अकेले मेनार क्षेत्र में 72 अनुज्ञधारी अफीम किसान हैं। झुंड में आने वाले तोते डोडे और फूल को आधा खाकर बेकार कर देते हैं। कितना भी बचाओ दिन में 8 से 10 डोडे खराबे में जाते हैं। इन समस्याओं से उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया है।
हिम्मत भलावत, मुखिया, अफीम किसान क्षेत्र मेनार(खण्ड चितौडग़ढ़)
अफीम फसलों के नुकसान का आंकलन नारकोटिक्स विभाग से गठित दल के माध्यम से ही होता है। हमारे हाथ में कुछ नहीं होता।
मदन सिंह शक्तावत, कृषि अधिकारी, ब्लॉक भींडर एडिक्शन है वजह
एक बार डोडा खाने के बाद तोते, पक्षियों, बंदरों में एडिक्शन होने लगता है। पक्षी और पशु शरीर २४ घंटे के अंतराल में एक बार फिर इसकी डिमांड करता है।
प्रो. आर.के. नागदा, एनीमल फिडिंग एंड जेनेटिक्स