सरकार का कहना है कि यदि कोई एसा मरीज है जो लक्षण वाला है और उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है तो उसे जल्द से जल्द उपचार की जरूरत है। लेकिन एमबी हॉस्पिटल में हालात पूरी तरह से उलट है, क्योंकि यहां मरीजों को कोई ये बताने वाला नहीं है कि उन्हें जाना कहां है, वे यहां से वहां मारे-मारे फिरते हुए अन्य लोगों को भी संक्रमित करते हैं, जबकि कोई एक जगह यानी हेल्प डेस्क होनी चाहिए, जहां से मरीज को सही जानकारी दी जा सके। पहली लहर में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में ही उपचार हो रहा था तो मरीज सीधे वहीं पहुंचते थे, लेकिन अब अलग-अलग जगह होने से किसी को पता नहीं चलता कि कहा जाना है।
शनिवार को ये रहे हालात केस-01
– सुबह करीब नौ बजे मल्लातलाई से एक युवक अपनी 65 वर्षीय मां को लेकर इएसआईसी हॉस्पिटल पहुंचा, वहां से उसे जगह नहीं होने का कहकर एमबी भेज दिया। वह यहां से वहां और वहां से यहां घूमते हुए दोपहर बाद तक अपनी मां को भर्ती नहीं करवा पाया। ऐसे में उसे दोपहर में किसी निजी हॉस्पिटल की शरण लेनी पड़ी।
– हाथीपोल क्षेत्र में एक 50 वर्षीय पुरुष के पॉजिटिव आने के बाद वह सीधे एमबी हॉस्पिटल गया, लेकिन लम्बी कतारों को देख करीब दो घंटे बाद फिर से लौट आया। ————
कोरोना हेल्प डेस्क शुरू करें तत्काल
– भर्ती व्यवस्था लगातार चरमराने से मरीजों को यहां समय पर उपचार नहीं मिल रहा है। जिला प्रशासन ने ऑनलाइन पलंग की स्थिति देखने के लिए साइट जारी की है, लेकिन अधिकांश मरीज व परिजन हड़बड़ाहट में सीधे हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। वहां तत्काल ऐसी जगह होनी चाहिए कि मरीज पहुंचे और पूछकर राहत की सांस ले।
हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। देर रात तक पूरी टीम पलंगों की व्यवस्थाओं में जुटी रही। देख रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा पलंगों को लगाने की व्यवस्थाएं की जाए ताकि मरीजों को बेवजह लौटना नहीं पड़े। जो-जो कमियां हैं उन्हें ठीक कर रहे हैं।