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पत्रिका अभियान : पर्यटकों की सुरक्षा की दरकार, कुछ तो ध्यान दे सरकार…

locationउदयपुरPublished: Jan 08, 2019 04:14:11 pm

– पूरे राज्य में लपके सक्रिय, कम मेहनाता से गाइड बैठे घर- पुलिस भी करती है सिर्फ दिखावे की कार्रवाई
 

मोहम्मद इलियास/उदयपुर . राज्य की गौरवमय गाथा, यहां का विरासत और प्रमुख जिलों के रमणीक स्थल को देखने-जाने के लिए देश दुनिया से आने वाले पर्यटक च्लपकोंज् से खासे परेशान हैं। वे उन्हें गलत जानकारियां ही नहीं दे रहे हैं बल्कि अच्छा कमीशन देने वाली होटलों व शो-रूम में ले जाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। पुलिस भी ठोस कार्रवाई करने के बजाय टारगेट व दिखावे के लिए रस्म अदायगी तक सीमित है जिससे लपकों की संख्या इतनी बढ़ गई कि विभाग के पढ़े-लिखे शिक्षित गाइड कम मेहनताने व लपकों की सक्रियता से चलते घरों में बैठने को मजबूर हैं। राज्य सरकार व पर्यटन विभाग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि खराब होने के बारे में जानकार भी अनजान बने हुए हैं। न तो वे गाइड की समस्या को हल कर रहे हैं, ना ही लपकागिरी को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा रहे हैं।
वर्तमान में राज्य में यलो कार्ड धारी 25 स्टेट गाइड तथा ग्रीन कार्ड धारी करीब दो हजार गाइड पर्यटक की दृष्टि से प्रमुख जिले जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में काम करे रहे हैं। दूसरी ओर अवैध रूप से सक्रिय लपकों की संख्या अनगिनत है। टैक्सी, ऑटो, शोरूम व होटलों पर काम करने वाले भी कमीशन के फेर में लपके बन गए हैं, जो पर्यटकों की खींचने व उनके पीछे दौडऩे में लगे रहते हैं। विभाग ने इन्हें रोकने के लिए ग्रीन कार्ड जारी कर नए गाइड तैयार किए लेकिन मेहनताना कम होने से अधिकतर घर बैठ गए।
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यूं करते हैं लपकागिरी

– शहर के इंट्री प्वाइंट, टोल प्लाजा पर ही बाइक लेकर लपके खड़े रहते हैं। बाहर की गाड़ी देखते ही उनके पीछे लपक पड़ते हैं। अच्छी होटल के नाम पर उन्हें रिझाते हैं। पर्यटक के झांसे में आते ही होटल में छोडकऱ कमीशन लेकर निकल जाते हैं।
– गाइड के नाम पर लपके पर्यटकों से मनमाने पैसा तय कर उनके साथ जाते हैं। पर्यटक स्थल व विरासत के बारे में गलत जानकारी देते हैं।
– हर लपकों ने अपने-अपने कमीशन के हिसाब से शो-रूम तय कर रखे हैं। पर्यटकों को भ्रमित कर वे उन्हें खरीदारी के लिए वहां ले जाते हैं।

हो चुके हैं अपराध
लेकसिटी में कन्वेसर गैंग सक्रिय होने से पूर्व में संगीन अपराध के साथ ही हत्या हो चुकी हैं। हैण्डीक्राफ्ट माफिया व बड़े शोरूम मालिकों ने कई युवाओं की टोलियां पाल रखी हैं। वे लपकागिरी के दौरान दूसरी गैंग के किसी व्यक्ति से पर्यटकों को खींचने व रिझाने के लिए झगड़ पड़ते हैं। इसको लेकर कई मामले भी दर्ज हुए।

कानून है, पर ठोस कार्रवाई नहीं

पर्यटक क्षेत्र या उसके मार्ग में कोई दलाली करता है तो उसे पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। उसे अधिकारिता वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करेंगे। दोषसिद्धि पर तीन माह का कठोर कारावास व जुर्माना निर्धारित है लेकिन आज तक किसी लपके को सजा नहीं हुई। अधिकतर मामलों में पुलिस शांतिभंग व अन्य धाराओं में मामला दर्ज करती है। आरोपी जुर्माने पर छूटते ही वापस सक्रिय हो जाते हैं।
मनरेगा से भी कम मेहनाता

स्तर आधा दिन…पूरा दिन

क्षेत्रीय गाइड – 1600… 2000
(भारत स्तर के)

स्टेट गाइड – 280 … 400

(राज्य स्तर के )
स्थानीय गाइड 250…350

(जिला स्तर के)
यह है गाइड की पीड़ा

केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित क्षेत्रीय गाइड को पूरे दिन के दो हजार रुपए मिलते हैं जबकि वही काम स्टेट गाइड भी करता है लेकिन उसे महज 400 रुपए दिए जाते हैं। वीआईपी मूवमेंट होने पर स्टेट गाइड पहुंचता है तो उसकी तय 400 रुपए की राशि भी दो से तीन माह में खाते में आती है। इस कारण अधिकतर लोगों ने इस धंधे से मुंह मोड़ लिया।
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