उदयपुर . स्वास्थ्य के प्रति सजगता को लेकर राज्य सरकार व चिकित्सा विभाग द्वारा किए जाने वाले दावों की गुरूवार को पत्रिका संवाददाता द्वारा अलग-अलग जगह की गई पड़ताल में पोल खुल गई। आदिवासी बहुल इलाके में स्वास्थ्य केंद्र के हालात काफी खराब हैं। दूरदराज के गांव-फलों में बसे लोगों तक चिकित्सा सेवा भी पूरी तरह नहीं पहुंच पाती है। ग्रामीण इलाकों में तैनात अधिकतर चिकित्सक नदारद रहते हैं। शहर के नगरनिगम क्षेत्र से सटे चंद गांवों में तो हालात बहुत बुरे हैं। यहां नाममात्र के अस्पताल चल रहे हैं। यहां या तो चिकित्सक आते ही नहीं है और आए तो एक या दो घंटे में आकर चले जाते हैं। पत्रिका टीम ने समीपवर्ती देबारी व रकमपुरा गांव के उपस्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया तो वहां ताले लटके मिले। देबारी अस्पताल के हालात तो ऐसे थे, जैसे वहां बरसों से ताला ही नहीं खुला हो और अस्पताल भवन खुद बीमारी का घर बना हुआ था। इसके अलावा झाड़ोल व कानोड़ क्षेत्र के अस्पतालों में कई सारी लापरवाहियां सामने आईं। मरीजों को कतार में लगने के साथ ही जांच व दवाइयों के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।