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PATRIKA CAMPAIGN: एमबी हॉस्पिटल में सक्रिय ‘खून के सौदागर’, पहले ढिलाई, अब जांच के नाम पर बयान लेने की औपचारिकता

locationउदयपुरPublished: Jan 28, 2018 02:23:58 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

उदयपुर .अब जांच के नाम पर औपचारिकताएं पूरी कर रही है जबकि घटनाक्रम को लेकर सभी साक्ष्य उपलब्ध हैं।

सुशील कुमार सिंह /उदयपुर . आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित महाराणा भूपाल और पन्नाधाय राजकीय महिला चिकित्सालय में खून के अवैध धंधे में लिप्त सौदागरों (अपराधियों) में भय पैदा करने की बजाय पुलिस ने पहले तो जमकर ढिलाई बरती। अब जांच के नाम पर औपचारिकताएं पूरी कर रही है जबकि घटनाक्रम को लेकर सभी साक्ष्य उपलब्ध हैं।
महिला चिकित्सालय में गत 12 जनवरी को पत्नी को एक यूनिट ब्लड उपलब्ध करवाने के नाम पर अवैध वसूली का शिकार हुए मानपुरिया तालाब, कुणका (लसाडिय़ा) निवासी हरीश मीणा ने दूसरी बार पुलिस को दिए बयानों में मूल तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर दर्ज करवाया। पीडि़त एवं परिजनों का कहना है कि जो होना था हो गया। अब वह पुलिस कार्रवाई और अदालतों के चक्कर नहीं काटना चाहते हैं। उनके उदयपुर ? आने-जाने में किराया लगेगा। वह मजदूरी करें या पुलिस कार्रवाई का हिस्सा बनें।
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एमबी हॉस्पिटल चौकी प्र्रभारी एएसआई डालचंद्र मेघवाल एवं जवान विक्रमसिंह ने सौदागरों की ओर से बंधक बनाए गए पीडि़त के काका के भी बयान दर्ज किए। अब देखना यह है कि पीडि़त हरीश के बयानों के अलावा पुलिस पन्नाधाय महिला चिकित्सालय प्रशासन की ओर से गठित नर्सिंग एवं चिकित्सकीय दल की उस जांच रिपोर्ट को कार्रवाई में शामिल करती है या नहीं, जिसमें टीम ने स्पष्ट किया है कि 10 जनवरी की रात को पीडि़त हरीश से ब्लड के बदले सौदागरों की टीम ने एक हजार रुपए वसूले थे।
टीम ने यह भी बताया था कि उससे इस कार्य के लिए 5 हजार रुपए की मांग की गई थी।
गौरतलब है कि स्टिंग के माध्यम से खून के सौदागरों के खुलासे के बाद पीडि़त हरीश ने पुलिस और जांच दलों को पूर्व में दिए गए बयानों में इस बात को स्वीकार किया था कि आरोपितों ने उससे खून के बदले कीमत ली थी।
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राजस्थान पत्रिका ने 12 जुलाई को ‘गरीब जिंदगी का सौदा, खून से कमाई’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर बहुत पहले ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन और पुलिस थाने के ओहदेदारों का ध्यान समस्या की ओर से आकर्षित किया था।
कॉल डिटेल में सच
दोबारा बयान के नाम पर औपचारिकता कर जांच को भटकाया जा रहा है। पुलिस मोबाइल की कॉल डिटेल तक निकलवाने से परहेज कर रही है। बातचीत की रिकॉर्डिंग और पीडि़त हरीश मीणा के मोबाइल नंबर 8290346360, जिस पर 10 जनवरी की रात को 9.30 बजे से 12.30 बजे के बीच सौदागरों के फोन आए थे।
कॉल डिटेल के अलावा राजस्थान पत्रिका के डिजिटल प्लेटफॉर्म में सौदागरों की शक्ल से लेकर पीडि़त हरीश की बातचीत का वीडियो भी है, जिसमें पीडि़त के साथ हुई कहासुनी और रुपए लेने की हलचल दर्ज है। पुलिस सत्यता के बूते ही अपराधियों तक पहुंचना चाहती है तो मौके के यह साक्ष्य पर्याप्त होते हैं।

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