आचार्य के स्वागत को उमड़ा आस्था का सैलाब
उदयपुरPublished: Jul 15, 2019 01:33:31 am
धरती के पुण्य से होता है संतों का आगमन – आचार्य विमदसागर
आचार्य के स्वागत को उमड़ा आस्था का सैलाब
उदयपुर. पारसोला. कस्बे में रविवार को दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में आचार्य विमदसागर महाराज ससंघ का पावन वर्षायोग के लिए मंगल प्रवेश हुआ। मंगल प्रवेश के लिए आचार्य ससंघ मूंगाणा से विहार कर पारसोला पहुंचे। स्थानीय जैन समाज के अध्यक्ष जयन्तिलाल कोठारी, चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष ओमप्रकाश मुगंडिया, उपाध्यक्ष प्रवीण पचोरी, विरेन्द्र सेठ, महावीर मैदावत, योगेश करेजरिया, विपुल बेहड़ा, विशाल घाटलिया,पण्डित कीर्तिश वगेरिया सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सुबह ७.३० बजे सेवानगर मोड़ पर आचार्य ससंघ की अगवानी की। बैण्डबाजों के साथ प्रवेश हुआ। मंगल प्रवेश जूलूस में सबसे आगे दो घोड़ों पर धर्मध्वज, इसके बाद गजराज की सवारी, महावीर कीर्ति दिव्य घोष, नरवाली व मूंगाणा के बैण्ड वादक के बाद सिर पर मंगल कलश लिए केशरिया वस्त्र में महिलाएं, इसके बाद बैण्डबाजों के पीछे आचार्य ससंघ एवं अन्त मे पुरुष श्वेत वस्त्र में आचार्य के जयकारे लगाते नाचते झूमते चल रहे थे। जुलूस सेवानगर मोड़ से होते हुए सन्मति नगर, नई आबादी, माण्डवी मोड़, वन नाका, पुराना बस स्टैण्ड, सदर बाजार, पाश्र्वनाथ चौक, आजाद मोहल्ला होते हुए श्यामा वाटिका पहुंच धर्मसभा में तब्दील हो गया । मंगल प्रवेश जुलूस पर जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई। लोगों ने जगह-जगह आचार्य का पाद प्रक्षालन किया। इस मौके पर कस्बे को दुल्हन की तरह सजाया गया। जगह-जगह तोरण द्वार एवं बैनर लगाए गए। मंगल प्रवेश में आसपास के मूंगाणा, नरवाली, खमेरा, साबला, कुशलगढ़, दाहोद, रिछा, निठाउवा आदि गांवों से सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे। धर्मसभा में पण्डित कीर्तिश वगेरिया व मूंगाणा, नरवाली, खमेरा, कुशलगढ़, दाहोद, साबला, रिछा, निठाउवा गामड़ी के श्रद्धालुओं ने आचार्य के चित्र अनावरण कर दीप प्रज्जवलन किया। प्राची एवं खुशी ने
मंगलाचरण किया। धर्मसभा में आचार्य ने कहा कि धरती के पुण्य एवं श्रावकों की आस्था से संतों का समागम होता है। पारसोला धर्म नगरी है, यहां बड़े बड़े सन्तों का आगमन हुआ है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में पुण्य का संचय कर धर्म लाभ लें। रात्रि में आनन्द यात्रा एवं आचार्य की आरती के आदि हुए। संचालन महावीर कड़वावत ने किया। १७ जुलाई को दोपहर में चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना होगी।
मूंगाणा . इससे पहले आचार्य का मूंगाणा से पारसोला के लिए मंगल विहार हुआ। जैन समाज के श्रावक- श्राविकाएं, बच्चे, बड़े गाजे बाजे के साथ चल रहे थे। विहार से पूर्व आचार्य ने प्रवचन में गुरु की
महिमा बताई।