सरकार ने कागजों में इनके विकास पर खर्चा तो अरबों का दिखाया है, लेकिन वह धरातल पर नजर नहीं आता।
सिकन्दर पारीक/उदयपुर. दुर्गम पहाडिय़ों पर सिंदूरी आभा बिखरते टेसू (पलाश) के फूल के बीच इन्हीं सी जिन्दगी जी रहे हैं वागड़-मेवाड़ के अधिकतर आदिवासी परिवार। पलाश के फूल की मानिंद इनके आंगन में प्राकृतिक सौन्दर्य ने तो खूब रंग बिखरे हैं, लेकिन इनकी रोजमर्रा जिन्दगी में न कोई
सुगंध है और ना ही विकास का नामो-निशान। सरकार ने कागजों में इनके विकास पर खर्चा तो अरबों का दिखाया है, लेकिन वह धरातल पर नजर नहीं आता।