इंदौर की पार्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अनुबंध समाप्ति के साथ मौका छोड़ दिया है। संबंधित स्टाफ को भी हटा दिया है। लापरवाही का ही नतीजा है कि ऑथोरिटी ने बिना पूर्व कार्ययोजना के संबंधित एजेंसी से टोल एवं सडक़ हैण्डओवर कर ली है। वहीं नई एजेंसी ने नई ठेका व्यवस्था के तहत टोल की जिम्मेदारी संभाल ली है। गौरतलब है कि पार्थ कंपनी ने अक्टूबर 2011 में एनएचएआई से अनुबंध कर टोल वसूली एवं सडक़ मरम्मत की जिम्मेदारी ली थी। करार के अनुसार संबंधित टोल क्षेत्र के दोनों छोर पर टोल एजेंसी को 7 सितम्बर 2017 तक 21 हजार वृक्ष तैयार करने थे। इन्हें काम छोडऩे के साथ एनएचएआई को सौंपना था। इससे पहले एजेंसी की ओर से दोनों छोर पर 24 हजार पौधे लगाने का दावा किया गया।
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दावों में कितना सच
अब यह विषय भी उत्सुकता बढ़ा रहा है कि वर्ष 2008 में एनएचएआई की ओर से तैयार किए गए फोर लेन के पहली टोल एजेंसी ने दोनों छोर पर कितने वृक्ष लगाए थे। इसके बाद दूसरे ठेके के तौर पर इंदौर की एजेंसी ने कितने वृक्ष लगाए हैं। दोनों की तुलना और औसत करीब 50 हजार वृक्षों की उपस्थिति तय करता है, जबकि इंदौर की एजेंसी ने एनएचएआई को 19 हजार पौधे जीवित होने की रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में पुरानी कंपनी की ओर से लगाए गए पौधे का हिसाब किताब इस रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया है। अब जब मामले को लेकर चर्चा है तो एनएचएआई प्रशासन दोनों छोर पर लगाए गए पौधों की प्रति किलोमीटर के हिसाब से गणना करने की तैयारी में है। देखना यह है कि पुरानी और तत्कालीन एजेंसी के कार्यकाल में लगाए गए वृक्षों को एनएचएआई कैसे चिन्हित करता है। इधर, कंपनी सुल्तान खान से मामले को लेकर बात करनी चाही तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ बताता रहा।
दावों में कितना सच
अब यह विषय भी उत्सुकता बढ़ा रहा है कि वर्ष 2008 में एनएचएआई की ओर से तैयार किए गए फोर लेन के पहली टोल एजेंसी ने दोनों छोर पर कितने वृक्ष लगाए थे। इसके बाद दूसरे ठेके के तौर पर इंदौर की एजेंसी ने कितने वृक्ष लगाए हैं। दोनों की तुलना और औसत करीब 50 हजार वृक्षों की उपस्थिति तय करता है, जबकि इंदौर की एजेंसी ने एनएचएआई को 19 हजार पौधे जीवित होने की रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में पुरानी कंपनी की ओर से लगाए गए पौधे का हिसाब किताब इस रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया है। अब जब मामले को लेकर चर्चा है तो एनएचएआई प्रशासन दोनों छोर पर लगाए गए पौधों की प्रति किलोमीटर के हिसाब से गणना करने की तैयारी में है। देखना यह है कि पुरानी और तत्कालीन एजेंसी के कार्यकाल में लगाए गए वृक्षों को एनएचएआई कैसे चिन्हित करता है। इधर, कंपनी सुल्तान खान से मामले को लेकर बात करनी चाही तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ बताता रहा।
गणना कर जानेंगे हकीकत
निजी कंपनी से सडक़ और टोल का हैण्डओवर किया है। उनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है। उनकी ओर से वृक्षों की रिपोर्ट दी गई है। प्रति किलोमीटर जांच के बाद ही इसकी हकीकत सामने आएगी। अन्यथा निजी कंपनी पर अर्थ दण्ड लगाकर वसूली की जाएगी।
वी.एस. मील, प्रबंध निदेशक, एनएचएआई, उदयपुर