उन्होंने बताया कि सूची में क्रमांक 1745 व 1746 पर पति व पत्नी के नाम है और दोनों का पता भी एक है। इसी प्रकार सूची में 1750 व 1752 में जिनके नाम चयनित हुए उनके भी घर के पते एक है। मंच ने क्रमांक 1686 व 1689 पर भी एक ही घर का पता बताया गया और उसमें दावा किया कि उसमें वे पिता-पुत्र है। जैन ने बताया कि सूची में क्रमांक 1772 व 1773 तथा 1793 व 1794 पर भी घर का पता एक है, उसमें पते में सिर्फ अल्फाबेट बदला गया है। जैन ने बताया कि मंच के मीडिया प्रभारी ललित मेनारिया का आवेदन गुटबाजी के चलते इरादतन रद्द किया गया है, इसके बाद जब मेनारिया को आरटीआई से जानकारी मांगी तो हर बार अस्पष्ट और अपूर्ण जवाब दिया गया।
इनका कहना है…
वास्तव में जरूरतमंदों को ही मकान मिले, इसी सोच से हमने कई स्तर पर आवेदनों की जांच की। अंतिम सूची भी हमने वेबसाइट पर डाली और उन नामों को लेकर आपत्तियां मांगी थी। हमारे मन में कोई खोट नहीं है इसलिए पारदर्शिता के लिए हमने इतने प्रयास किए है। इसके बावजूद एक ही परिवार के दो नाम आने या अन्य जो भी शिकायतें है ऐसे नाम जांच कर निरस्त कर देंगे। ऐसी पुनरावृति नहीं हो इसका भी ख्याल रखेंगे लेकिन हम अभी भी इसी मकसद से काम कर रहे है कि बेघर को ही मकान मिले।
– रवीन्द्र श्रीमाली, चेयरमैन यूआईटी