scriptआठ बच्चों का जिम्मा, फाकाकशी और पहाड़ सी जिंदगी | Poor Women Worker's Story | Patrika News

आठ बच्चों का जिम्मा, फाकाकशी और पहाड़ सी जिंदगी

locationउदयपुरPublished: Jan 05, 2019 02:14:45 am

Submitted by:

Pankaj

दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल, गोगुंदा के सिवडिय़ा निवासी थावरी की कहानी, उपचार के बाद बीमार पति की मौत

Poor Women Worker's Story

आठ बच्चों का जिम्मा, फाकाकशी और पहाड़ सी जिंदगी

कपिल सोनी . गोगुंदा. पति सालों तक खदान में पत्थर निकालने काम करता रहा। सेहत बिगड़ी तो काम छूटा और बिस्तर पकड़ लिया। गोगुंदा क्षेत्र के सिवडिय़ा गांव में रहते बहुत उपचार कराया, लेकिन बात नहीं बनी। शरीर के साथ ही मनोबल टूटता गया और परिवार की आर्थिक हालत भी बिगड़ती गई। आखिर मौत ने नहीं बख्शा। अब परिवार में पत्नी और उस पर 8 बच्चों का जिम्मा है। पहाड़ सी जिन्दगी लिए अकेली महिला दो वक्त की रोड़ी की जुगत कर रही है।
कहानी है सिवडिय़ा निवासी थावरी गमेती की। पति 49 वर्षीय मोहन गमेती की हाल ही में मौत हो गई। वह बीते 10 साल से केलवा स्थित खदान में पत्थर निकालने का काम करता रहा। खदान से उड़ती धूल उसे लीलने लगी। मोहन बीमार रहने लगा। बीते 3 साल से फेंफड़ों से संबंधित बीमारी का ईलाज करा रहा था। उदयपुर से लेकर गुजरात तक ईलाज कराने में, जो कमाया था सब फूंक दिया। थावरी के जेवर गिरवी रख दिए, परिवार कर्जे में डूब गया। निवाले का बंदोबस्त करते थावरी दिन-रात एक करने लगी, लेकिन संघर्ष की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। आठ बच्चों का भरण पोषण करती थावरी मजदूरी कर दिन काट रही थी कि गंभीर बीमार पति की बीते दिनों मौत हो गई। अब झोंपड़ी में आठ बच्चों को बमुश्किल पालती थावरी संकट की घड़ी में है। थावरी की सबसे बड़ी बेटी 15 साल की है, जो शोकमग्न मां और सात भाई-बहनों को संभाल रही है।
सिलिकोसिस की आशंका
गांव के सामाजिक कार्यकर्ता रूपाराम गरासिया ने बताया कि खदान में काम करते अधिकतर श्रमिक सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित हैं। मोहन गमेती भी तीन साल से उपचाररत था। उस पर भी सिलिकोसिस के ही लक्षण थे। समय पर सहायता और उपचार नहीं मिल पाया। मोहन की मौत के बाद परिवार बेसहारा हो गया है। प्रशासन से मदद मिले तो परिवार संभल सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो