——– ये है सिस्टम: – ओपीडी में यदि कोई मरीज आता है और वह संक्रमित नहीं है तो उसमें ये देखा जाता है कि कहीं बाहर से आया है या घर से ही, यदि बाहर से आता तो उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन रखा जाता है, यदि उसमें सर्दी, खांसी, जुकाम या कोरोना समकक्ष कोई लक्षण है तो उसे भर्ती कर टेस्ट किया जाएगा। -यदि कोई पॉजिटिव केस के सीधे सम्पर्क में है और उसे लक्षण है तो उसे भर्ती करेंगे, टेस्ट किया जाएगा। – मरीज को भर्ती करने के बाद पॉजिटिव आने पर लक्षणों के अनुसार इसका रिपीट सेंपल करवाएंगे, 24 घंटे में दो नमूने नेगेटिव आ जाते हैं, मरीज में लक्षण नहीं है और जांचों में रेडियॉलोजिकल, क्लिनिकल रिपोर्ट ठीक है तो उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा, उसके उलट यदि कही कोई अन्तर आता है या रिपोर्ट बदलती है तो उसका उपचार चलता रहेगा, जब तक कि 24 घंटों में लिए लगातार दो नमूनों में नेगेटिव नहीं आ जाता।
—- ये है वार्ड की स्थिति – पॉजिटिव वाले मरीजों का वार्ड: इसमें पॉजिटिव आने वाले मरीजों का उपचार किया जाता है, जैसे पहले प्रतापगढ़ के दम्पती थे तो अब डूंगरपुर के तीन पुरुष यहां भर्ती हैं।
– पॉजिटिव से नेगेटिव वाला: इसमें उपचार के बाद नमूने में पॉजिटिव से नेगेटिव आने वाले को शिफ्ट किया जाता है, क्योंकि इससे कोई और संक्रमित नहीं हो ये देखना जरूरी है। – क्वारंटाइन: यदि किसी संक्रमित के सम्पर्क में कोई मरीज आया है तो लक्षण नहीं होने पर भी 14 दिन तक क्वारेंटाइन रखा जाता है, उसे प्रोफाइल एक्सिस दवा यानी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन दी जाती है।
– आइसोलेशन: लक्षणों के अनुसार व्यक्ति को आइसोलेशन में यानी अलग से रखा जाता है, उसे केवल लाक्षणिक दवा दी जाती है, जैसे सर्दी, जुकाम या अन्य जो भी समस्या हो। —-