अपनाई जाएगी यह तकनीक
पोटाश को पाताल में 600 से 700 मीटर की गहराई से निकालने के लिए विदेशी सोल्यूशन माइनिंग तकनीक अपनाई जाएगी। बता दें कि राजस्थान में करीब 50 हजार वर्ग किलोमीटर में बड़े पैमाने पर पोटाश के उच्चकोटी के भण्डार मिले हैैंैं। इससे आयात में कमी आएगी। ज्ञातव्य है कि प्रति वर्ष कनाडा और अन्य देशों से भारत अरबों रुपए का पोटाश आयात कर अपनी मांग की पूर्ति करता रहा है।
पोटाश को पाताल में 600 से 700 मीटर की गहराई से निकालने के लिए विदेशी सोल्यूशन माइनिंग तकनीक अपनाई जाएगी। बता दें कि राजस्थान में करीब 50 हजार वर्ग किलोमीटर में बड़े पैमाने पर पोटाश के उच्चकोटी के भण्डार मिले हैैंैं। इससे आयात में कमी आएगी। ज्ञातव्य है कि प्रति वर्ष कनाडा और अन्य देशों से भारत अरबों रुपए का पोटाश आयात कर अपनी मांग की पूर्ति करता रहा है।
एक लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चिन्हित
श्रीगंगानगर-नागौर बेसीन में भू-वैज्ञानिकों ने करीब 633 से 720 मीटर के बीच की गहराई से पोटाश खोज निकालने में बड़ी सफलता हासिल की है। नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर व चूरू जिलों के धोरों में एक लाख वर्ग किलोमीटर एरिया को पोटाश के लिए चिन्हित किया गया है, इसमें करीब 50 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पोटाश के भण्डार है और इसमें भी करीब 500 वर्ग किलोमीटर में 4.70 प्रतिशत ग्रेड की उच्च गुणवता वाला पोटाश मिला है। विदेशों में 7 से 8 ग्रेड का पोटाश मिलता है।
श्रीगंगानगर-नागौर बेसीन में भू-वैज्ञानिकों ने करीब 633 से 720 मीटर के बीच की गहराई से पोटाश खोज निकालने में बड़ी सफलता हासिल की है। नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर व चूरू जिलों के धोरों में एक लाख वर्ग किलोमीटर एरिया को पोटाश के लिए चिन्हित किया गया है, इसमें करीब 50 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पोटाश के भण्डार है और इसमें भी करीब 500 वर्ग किलोमीटर में 4.70 प्रतिशत ग्रेड की उच्च गुणवता वाला पोटाश मिला है। विदेशों में 7 से 8 ग्रेड का पोटाश मिलता है।
भंडार की मात्रा का पता कर रही है टीमें
7-8 जिलों के बड़े भू-भाग में 69 बोरिंग कर पोटाश की परत का पता लगाने के बाद अब वैज्ञानिकों की टीमें 500 वर्ग किलोमीटर के एरिया में 800-800 मीटर की दूरी में बोरिंग कर पोटाश के मिले भण्डारों की मात्रा का पता कर रही है। कृषि प्रधान देश में खाद की भारी डिमांड रहती है। ऐसे में प्रतिवर्ष सरकार अरबों रुपए का पोटाश आयात करती है। देश में 2025 तक साढ़े चार मिलियन टन पोटाश आयात होने की संभावना है और 2030 तक 7 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।
7-8 जिलों के बड़े भू-भाग में 69 बोरिंग कर पोटाश की परत का पता लगाने के बाद अब वैज्ञानिकों की टीमें 500 वर्ग किलोमीटर के एरिया में 800-800 मीटर की दूरी में बोरिंग कर पोटाश के मिले भण्डारों की मात्रा का पता कर रही है। कृषि प्रधान देश में खाद की भारी डिमांड रहती है। ऐसे में प्रतिवर्ष सरकार अरबों रुपए का पोटाश आयात करती है। देश में 2025 तक साढ़े चार मिलियन टन पोटाश आयात होने की संभावना है और 2030 तक 7 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।
कहते हैं अधिकारी
राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एम्पार्वड कमेटी का गठन किया है। भारतीय भू- वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने राज्य में पोटाश की खोज की है। सरकार स्तर पर पोटाश को कैसे निकाला जाए इस पर काम चल रहा है।
राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एम्पार्वड कमेटी का गठन किया है। भारतीय भू- वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने राज्य में पोटाश की खोज की है। सरकार स्तर पर पोटाश को कैसे निकाला जाए इस पर काम चल रहा है।
-एस.एन.डोडिया, अतिरिक्त निदेशक, खान एवं भू-विज्ञान विभाग