उदयपुर

प्रमोद मेहता हत्याकांड : वाहन, न मोबाइल लिया काम में, हत्या के बाद पहुंचा दुकान पर

– मुख्य षड्यंत्रकर्ता निकला नाबालिग, पुलिस जांच से था वाकिफ, किसी तरह का सुराग नहीं होने से पुलिस को लग गए तीन माह
 

उदयपुरSep 06, 2017 / 02:47 am

Mohammed illiyas

उदयपुर. दवा सेल्समैन प्रमोद मेहता हत्याकांड का मुख्य षड्यंत्रकर्ता अपचारी निकला, न्यायालय ने उसे बाल सुधारगृह भिजवा दिया। यह अपचारी इतना शातिर था कि उसे पुलिस का जांच का दायरा व सारी कमजोरियां पता थी मगर गत दिनों अचानक ड्रग डिस्टीब्यूटर्स की नौकरी छोडऩे की गलती कर पुलिस के जाल में फंस गया।
 

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पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि अपचारी स्वयं की पहचान छिपाने के लिए घटनास्थल पर नहीं गया, साथियों को रूट पर चलने वाले टेम्पो से वहां भेजा। इतना नहीं मोबाइल को जान-बूझकर घटना स्थल से एवं साथियों को सीसीटीवी कैमरों की जद से बाहर रखा। हत्या के बाद वह अनजान बनकर रोजमर्रा की तरह हर्ष ड्रग डिस्टीब्यूटर्स पर काम पर चला गया। पुलिस ने अपनी जांच में हर एंगल पर काम करते हुए दो बार थाने में लाकर पूछताछ भी की, लेकिन कुछ नहीं उगला। शक तो तब हुआ, जब उसने २५ दिन पहले दुकान पर काम छोड़ दिया, उसके बाद पुलिस ने उसके मोबाइल की लोकेशन व उसके दोस्तों की कुंडली टटोली तो सलाम को नाम सामने आया। सलाम के बारे में जानकारी लेने पर उसके पास पिस्टल होने की जानकारी मिली। पुलिस ने हथियार के शक में ही उसे उठाते हुए पहले प्रश्न ही उसके सामने प्रमोद की हत्या का दागा तो वह सकपका गया। उसने अपचारी व सकलेन के साथ हत्या करना स्वीकार कर ली।
 

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दवा सेल्समैन बम्बोरा हाल बड़ी होली निवासी प्रमोद मेहता की हत्या के मामले में न्यायालय ने अपचारी को बाल सुधार गृह भेज दिया जबकि गौसिया कॉलोनी किशनपोल निवासी मोहम्मद सलाम पुत्र अब्दुल रहमान व सकलैन उर्फ फिरोज पुत्र सिराज खान को जेल भेजने का आदेश दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्पेशल टीम ने इस हत्याकांड में इतनी मेहनत की कि एक बार शहर के समस्त आपराधिक किस्म के आरोपितों को पकड़ लिया। धरपकड़, पूछताछ में कहीं से भी गिरफ्तार आरोपितों के बारे में एेसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा जिससे कहा जा सके कि आरोपित सीधे तौर पर उसमें लिप्त थे। अपचारी का पूर्व में किसी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं होने से पुलिस उसे भी नजरअंदाज कर चुकी थी।
 

 

गौरतलब है कि गत ५ जून को आरोपितों ने धोलीबावड़ी क्षेत्र में प्रमोद मेहता की लूट की नीयत से गोली मारकर हत्या कर दी थी। मेहता के पास उस समय पांच लाख रुपए की नकदी से भरा बैग था, गोली लगने के बाद भी मेहता ने उसे नहीं छोड़ा।
 

तीन सोमवार रैकी की

अपचारी व प्रमोद मेहता एक ही दुकान पर काम करते थे। अपचारी को प्रत्येक सोमवार को मेहता के पास काफी नकदी होने की पूरी जानकारी थी। इसी कारण वारदात को अंजाम देने के लिए वह दोनों साथियों के साथ तीन सोमवार तक मेहता के घर से दुकान आने-जाने के रास्ते पर पूरी नजर रखी और घटनास्थल के लिए धोलीबावड़ी सीमेंट गली को तय किया। इस हत्याकांड के बाद जैन समाज में आक्रोश था, गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया बार-बार अधिकारियों को गुत्थी सुलझाने के लिए कह चुके थे।

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