—- ये मांगी थी राशि: निजी अस्पतालों की ओर से 24.6.2019 तक 2166.36 करोड के क्लेम्स जबकि राजकीय चिकित्सालयों के द्वारा रुपये 645.50 करोड के क्लेम्स बीमा कंपनी को प्रेषित किये गए थे। इस पर निजी अस्पतालों को रुपये 1886.21 करोड व राजकीय अस्पतालों को रुपये 521.84 करोड के क्लेम्स का भुगतान किया गया है।
—- ये है भामाशाह योजना: – राजस्थान की सरकार ने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने पर जोर दिया है। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगो के लिए इसे 13 दिसंबर 2015 को शुरू किया गया था। योजना के अंतर्गत परिवारों को कैशलेस स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने, सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ चुनिंदा निजी प्राइवेट अस्पतालों में भी ये सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
— योजना के फायदेभामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में प्रत्येक पात्र परिवार को प्रतिवर्ष सामान्य बीमारियों के लिए 30 हजार तथा गंभीर बीमारियों के लिए 3 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराया जा रहा है। अस्पताल में भर्ती के दौरान हुए खर्च के अलावा भर्ती से 7 दिन पहले से 15 दिन बाद तक का खर्च शामिल किया जाता है। योजना 13 दिसंबर 2015 से राज्य में लागू है। दिनांक 24.06.19 तक कुल 35,87,719 पात्र मरीजों को लाभान्वित किया गया है। तथा कुल 2811.85 करोड सबमिट राशि के क्लेम्स में से 2408.05 करोड के क्लेम्स का भुगतान बीमा कंपनी के द्वारा किया गया है।
——- ये है नियम: – भामाशाह स्वास्थ्य बीमा अन्तर्गत मरीज की पहचान आधार बायोमेट्रिक से भर्ती किए जाने, डिस्चार्ज के समय की रियल टाईम फोटो लेने का प्रावधान है। क्लेम प्रेषित किये जाने से लेकर क्लेम भुगतान की समस्त प्रक्रिया ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से होती है। ऐसे होता है शिकायत का निवारण : बीमा कम्पनी के द्वारा नियमानुसार की जाने वाली फील्ड ऑडिट मरीजो से प्राप्त फीडबैक अनुसार अथवा अस्पतालों के भौतिक निरीक्षणों में दोषी पाये गये अस्पतालों के विरूद्ध व्यक्तिगत सुनवाई की जाती है और सुनवाई के बाद दोष सिद्ध होने पर प्रावधानों के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी किए जाते हैं। इन प्रकरणों में नियमानसुार राज्यस्तरीय परिवेदना निस्तारण कमेटी व तदानुसार अपीलीय प्राधिकरण में प्राप्त अपीलों की सुनवाई किये जाने का प्रावधान हैं।
—- प्रदेश में सामने आई 43 शिकायतें योजना के शुरू होने से 24 जून 19 तक कुल 43 शिकायतें सामने आई थी, जिनमें से पांच शिकायतें उदयपुर जिले के निजी चिकित्सालयों की दर्ज हुई।
अखिलेश नारायण माथुर, संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उदयपुर