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उदयपुर में कलक्टर की नहीं सुन रहा शिक्षा विभाग, नींद में जनप्रतिनिधि

locationउदयपुरPublished: Apr 25, 2019 12:14:06 pm

Submitted by:

Chandan

रंग ला रही मुहिम – किसी ने कम की फीस, कोई लौटा रहा है पुस्तकों की ज्यादा ली कीमत डूंगरपुर में आगे आए जनप्रतिनिधि व शिक्षा विभाग तो मिली राहत

चन्दनसिंह देवड़ा/उदयपुर . फीस में भारी बढ़ोतरी और मनमर्जी से स्टेशनरी थोपने, एक ही दुकान से यूनिफॉर्म व पुस्तकें लेने की बाध्यता को लेकर राजस्थान पत्रिका की मुहिम का धीरे-धीरे असर दिख रहा है। अभिभावकों ने जहां-जहां आवाज बुलंद की, वहां उन्हें राहत मिल रही है। जहां अभिभावक मौन है, वहां शिक्षा विभाग भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। हालांकि जिला कलक्टर ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं लेकिन अधिकारी मिलीभगत के खेल में चुप हैं। संभाग के उदयपुर में सबसे बड़ा असर एक निजी स्कूल में देखने को मिला है। पत्रिका में प्रकाशित खबरों के बाद जागे अभिभावक स्कूल प्रबंधन से मिले, उन्होंने वाजिब फीस बढ़ोतरी की मांग रखी। नहीं मानने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिस पर स्कूल प्रबंधन को झुकना पड़ा।
सालाना फीस में दो से ढाई हजार की कटौती
उदयपुर शहर स्थित सेंट ग्रिगोरियस स्कूल प्रबंधन को सालाना फीस में प्रति विद्यार्थी दो से ढाई हजार रुपए की कमी करने का निर्णय करना पड़ा। स्कूल प्रबंधन ने 12 माह की जगह 9 माह की फीस लेने का निर्णय किया था लेकिन उसमें नियमों से ज्यादा वृद्धि करने का अभिभावकों ने विरोध किया था। उसके बाद स्कूल प्रबंधन समिति और अभिभावकों की अहम बैठक हुई जिसमें छोटी कक्षा से 5वीं तक और फिर कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्रों की फीस में सालाना राहत का निर्णय लिया गया। इससे अभिभावकों को राहत मिलेगी। अभिभावक कमेटी में महेन्द्र नागदा, प्रवीण खण्डेलवाल, जितेन्द्र जैन, कमलेश कुमार और बंटू कुमार थे, जबकि स्कूल प्रबंधन कमेटी में मोंटी वर्गीस समेत पांच सदस्य थे।

केस (1)
अभिभावकों के विरोध को देखते हुए सेंट ग्रिगोरियस स्कूल प्रबंधन ने प्रति विद्यार्थी फीस में सालाना दो से ढाई हजार रुपए कम किए हैं। कटौती देखने में भले कम है लेकिन कुल विद्यार्थियों में लाखों का आंकड़ा पहुंच रहा है।

केस (2)
संभाग के डूंगरपुर में अभिभावकों के विरोध के मद्देनजर एक प्रमुख पुस्तक विक्रेता ने अभिभावकों से कहा है कि वे बिल प्रस्तुत करें और 15 प्रतिशत राशि रिफण्ड प्राप्त करें। इसके लिए क्लास और स्कूलवार शिड्यूल प्लान किया है।
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अभिभावकों की यह है पीड़ा

नियमों के परे जाकर ले रहे हैं प्रवेश शुल्क
निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें
यूनिफॉर्म में हाउस और वार के अनुसार परिवर्तन
प्रतिवर्ष भारी फीस बढ़ोतरी
इंकार के बावजूद प्रवेश परीक्षा
पिकनिक व वार्षिक उत्सव के नाम वसूली
परिवहन विभाग के नियमों की पालना नहीं, लेकिन किराया वसूली अधिक
आरटीइ नियमों की पालना नहीं

डूंगरपुर में रिफण्ड देगा पुस्तक विक्रेता

डूंगरपुर जिला मुख्यालय पर भी राजस्थान पत्रिका की ओर से इस संबंध में अभियान चलाया जा रहा है। इसे लेकर वहां भी अभिभावक मुखर हुए और उन्होंने शिक्षा विभाग में लिखित में पुस्तक विक्रेता की शिकायत की कि वे अधिक रकम वसूल रहे हैं। अभिभावकों ने कहा कि एनसीइआरटी की पुस्तकें सस्ती हैं लेकिन निजी प्रकाशकों की पुस्तकें इनसे 10 गुणा महंगी है। लगातार विरोध के बाद आखिर शिक्षा विभाग, नगर परिषद सभापति ने शहर के प्रमुख निजी स्कूलों की बैठक की। इसके बाद शहर के एक प्रमुख पुस्तक विक्रेता ने अभिभावकों से कहा कि 15 प्रतिशत की राशि उन सभी अभिभावकों को रिफण्ड करेगा, जो खरीद का बिल प्रस्तुत करेंगे। इसके लिए स्कूलवार और कक्षावार एक शिड्यूल तय किया जा रहा है ताकि भीड़ नहीं उमड़े।
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अप्रेल और अगस्त की फीस में समायोजन
अभिभावक कमेटी के साथ बैठक में 2 से ढाई हजार की सालाना फीस कटौती का निर्णय किया है। अपे्रल में जिन अभिभावकों ने फीस जमा करवा दी उनको अगस्त में राहत दे दी जाएगी और जिन्होंने अभी की फीस जमा नहीं करवाई है उनकी इसी समय कटौती के साथ जमा करेंगे। – मोंटी वर्गीस, ट्रस्टी सेंट ग्रिगोरियस स्कूल प्रबंधन कमेटी
पत्रिका ने अभिभावकों की समस्या को उठाया। निजी स्कूलों को भी सोचना चाहिए कि वह शिक्षा को व्यवसाय की नजर से ऊपर रखें। जिम्मेदार अधिकारी निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करें। – महेन्द्र नागदा, अभिभावक

बैठक में अभिभावकों को पुस्तक विक्रेता ने 15 प्रतिशत राशि रिफण्ड लौटाने पर सहमति जताई है, अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की है। अगले सत्र के लिए व्यवस्थाएं तय की जाएगी। – गिरिजा वैष्णव, जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक, डूंगरपुर
बैठक में यह तय किया गया कि बुक सेलर की ओर से 15 प्रतिशत राशि अभिभावकों को रिफंड की जाएगी। पत्रिका अभियान के बाद इस बैठक से 15 हजार अभिभावकों को राहत मिली है। – केके गुप्ता, सभापति नगर परिषद, डूंगरपुर
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