प्रो सोडानी ने उक्त विचार शनिवार को राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि के संघटक विज्ञान महाविद्यालय तथा रॉयल सोसायटी ऑफ केमेस्ट्री (royal society of chemistry) लंदन (northern india section) तथा ग्रीन केमेस्ट्री नेटवर्क सेंटर (green chemistry network center) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आईटी सभागार में ग्रीन केमेस्ट्री फॉर क्लीन एन्वायरमेंट विषयक राष्ट्रीय सेमिनार में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि वर्तमान में रसायन के भी कंसेप्ट भी बदल गए हैं। हरित रसायन व हरित इंजीनियरिंग के सिद्धांतों की पालना करनी चाहिए तभी हम मानव जाति के लिए कुछ कर पाएंगे। मुख्य वक्ता पीआई इंडस्ट्रीज उदयपुर के प्रो. आरके शर्मा ने कहा कि वर्तमान में हमारी दिनचर्या पूरी तरह से रसायनों पर निर्भर हो रही है। इसके घातक परिणाम जीवन पर पड़ रहे हैं। हरित रसायन के जरिये ऐसे पदार्थ व उत्पाद बनाए जा रहे है जो पर्यावरण, पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओ व स्वयं मानव के लिए हानिकारक न हो। इसमें ऐसी विधिया लगातार विकसित हो रही है।
दिल्ली विवि के डॉ. प्रशांत वी. पोटनिस ने कहा कि हरित रसायन के उपयोग कर वायुमंडल की रक्षा कर सकते हैं। उद्योगो से निकलने वाले कचरे का स्रोत के रूप में उपयोग कर और अधिक उपयोगी रसायन बनाया जा सकता हैं। इससे जहां कचरे के निष्पादन की समस्या समाप्त होगी, वहीं सस्ते मूल्य पर उपयोगी रसायन का उत्पादन हो सकेगा। सेमिनार में प्रो. पिंकी बाला पंजाबी, प्रो. सुरेशचन्द्र आमेटा ने भी विचार व्यक्त किए।समन्वयक डॉ. रक्षित आमेटा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए एक दिवसीय सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। सेमिनार में 145 शोधार्थियों ने पेपर प्रस्तुत किए। इस अवसर पर अतिथियों ने ग्रीन केमेस्ट्री फॉर क्लीन इन्वायरमेंट पर स्मारिका का विमोचन भी किया।