इस दौरान आशासहयोगी ने कहा कि 2013 चुनाव में मुख्यमंत्री ने हमें नियमति करने की बात कहीं लेकिन सरकार के चार वर्ष गुजर गए। अभी तक कुछ नहीं हुआ कोई बात नहीं हमारा तो ठीक लेकिन मुख्यमंत्री को कुर्सी पर बिठा सकते हैं तो उतार भी देंगे। आशासहयोगिनियों ने बताया कि जुलाई 2017 से किसी भी प्रकार का मानदेय व भुगतान उनको नहीं किया जा रहा है। जबकि उनके द्वारा सभी कार्यों की रिपोर्टिंग, फॉर्मट, पीसीटीएस व सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन एंट्री एवं आशा क्लेम भी समय पर जमा करवाया गया है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित महत्वपूर्ण योजना का कार्य एवं रिपोर्टिंग समय पर किया जा रहा है। इन सबके बावजूद भी सरकार हमें भुगतान नहीं कर रही है। इसके चलते दीपावली जैसे महत्वपूर्ण पर्व को मनाने में असुविधा हुई। वहीं सभी महिला होने से चार माह से मानदेय नहीं मिलने से अब आर्थिक रुप से काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
READ MORE: video : उदयपुर में कबीर पंथ संत समागम में उमड़ा जन सैलाब, गूंजे सद्गगुरू के जयकारे सभी ने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन बीसीएमओ के नाम से उनके प्रतिनिधि के रुप में सूचना अधिकारी दिनेश चन्द्र टांक को सौंपा। आशा सहयोगी कला गायरी ने कहा कि मुख्यमंत्री हम महिलाओं से बड़े-बड़े वादे करके कुर्सी हासिल की थी अब हमारी मांगों पर ध्यान ही नहीं दे रही है। जिस प्रकार सीएम का पद मिला हैं उसी प्रकार कुर्सी छीन भी ली जाएगी। आशासहयोगियों का मानदेय 10 नवम्बर तक नहीं मिलेता तो हड़ताल करते हुए बड़ा आन्दोलन किया जाएगा। इस दौरान गोमती सेन, प्रेमलता शर्मा, मंजु जैन, मधुबाला, लता चौबीसा, पुष्पा चौहान, निर्मला चौबीसा, शांता गर्ग, दूर्गा व्यास, सीमा पाटीदार, रुपा मेघवाल सहित सैकड़ों आशासहयोगी उपस्थित थी।