
Broken road for ten years, even difficult to walk on concrete
लसाडिय़ा. उपखण्ड मुख्यालय को जोडऩे वाली ग्रामीण सडक़ों की बदहाली से स्थानीय ग्रामीणों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। लसाडिय़ा से धरियाव, कानोड़, लसाडिय़ा, अमरपुरा जागीर को जाने वाली सडक़ों की बदहाली से परेशान लोगों के चेहरे मायूस बने हुए हैं। जान जोखिम में डालकर वाहन सवार यहां से गुजर रहे हैं। लसाडिय़ा से धरियावद विधानसभा को जोडऩे वाली सडक़ के विस्तारीकरण को लेकर वर्ष 2014 में स्वीकृति जारी हुई थी। इसके बाद संवेदक स्तर पर पुरानी सडक़ खोद दी गई, जबकि नई सडक़ निर्माण को लेकर बजट नहीं मिला। इसके चलते मौके पर सडक़ के अवशेष ही समाप्त हो गए। लोगों को खुदी हुई सडक़ से होकर मंजिल तक पहुंचना पड़ रहा है। बरसात के दिनों में वाहनों के कीचड़ में फंसने जैसी समस्याएं बनी रही। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी व्यवस्था सुधार को लेकर दावे किए, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसी तरह वर्ष 2014 में कानोड़ सडक़ पर डामरीकरण व चौड़ाईकरण हुआ था, लेकिन अब खामियों के बीच यह सडक़ चलने लायक नहीं है। छोटे और बड़े हर तरह के वाहनों से सडक़ पार करने में तकलीफें आ रही हैं।
नहीं मिली एनओसी
लसाडिय़ा-धरियावद सडक़ को लेकर वनविभाग से एनओसी नहीं मिली है। लसाडिय़ा-कानोड़ सडक़ पर करीब दो किलोमीटर तक डामरीकरण हो चुका है। शेष तीन किलोमीटर हिस्से में डामरीकरण होना है। शेष सडक़ पर पेच कार्य किए जाएंगे।
राजकुमार मीणा, सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी लसाडिय़ा
Published on:
11 Dec 2019 06:19 pm
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