पत्रिका टीम बुधवार को राउमावि रेजिडेंसी स्कूल की रेगर कॉलोनी शाखा में पहुंची। कक्षा एक से 8वीं तक में 42 बच्चे नामांकित हैं जिसमें से 18 उपस्थित थे। दो स्कूली बच्चियों से किताब मंगवाकर क्यूआर कोड के बारे में पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जता दी। एक छात्रा इसे मांडणा जैसा चित्र समझ बैठी, वहीं शिक्षिकाओं से जब इस बारे में पूछा तो वे भी ढंग से कोई जवाब नहीं दे सकी। एक शिक्षिका ने निर्देश वाले पेज को टटोल कर बताया कि यह क्यूआर कोड है लेकिन इसका उपयोग पढ़ाने में कैसे होगा, यह नहीं पता। एक शिक्षिका ने कोड को उदयपुर लिखा होना बताया।
कक्षा 8वीं तक के बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं होते हैं। ऐसे में वे दीक्षा एप का उपयोग कर क्यूआर कोड स्कैन नहीं कर सकते हैं। वे अभिभावकों की मदद और शिक्षकों के जरिये ही डिजिटल पाठ्य सामग्री का विस्तृत अध्ययन कर सकते हैं लेकिन जब इसके बारे में जानकारी का अभाव है तो यह नवाचार कैसे कारगर होगा।
किताबों में क्यूआर कोड के बारे में जानकारी नहीं है कि कैसे उपयोग करना है। नई शुरुआत है, इसे समझकर सीखना पड़ेगा। महेन्द्र सिंह, शिक्षक प्राथमिक विद्यालय आग डोडिया
पाठ्यपुस्तकों में जो भी संशोधन होते हैं और उनको किस तरह से पढ़ाना है, इस बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। सरकार ने इस बार प्रशिक्षण नहीं दिया। ऐसे में ऐसी दिक्कत पेश आ रही है।