जबकि बीसलपुर बांध से 130 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। यह सब परियोजना के पूर्व तैयारी नहीं होने का नतीजा है। बीसलपुर बांध के कैचमेंट एरिया से पानी की आवक कम होने के चलते अभियंताओं ने अब चंदलाई बांध में छोड़े जा रहे पानी को बंद कर दिया।
जबकि नहर क्षतिग्रस्त नहीं होती तो 9 फीट की भराव क्षमता वाला चंदलाई बांध दो दिन में ही भर जाता, लेकिन 12 दिन पहले छोड़े गए पानी के बावजूद चंदलाई बांध में बूंद-बूंद पानी आ रहा था।
उल्लेखनीय है कि बीसलपुर बांध के कैचमेंट एरिया से आ रहे पानी के चलते परियोजना अभियंताओं ने पूर्ण भराव 315.50 आरएल मीटर के साथ ही गत 9 अगस्त से बांध के गेट खोलकर बनास नदी में पानी छोडऩा शुरू किया था।
इसके चलते करोड़ों क्यूसेक पानी बनास नदी में बहा दिया गया। बाद में अभियंताओं की नींद टूटी और पानी का सदुपयोग करने के लिए चंदलाई बांध को भरने का निर्णय किया गया। करीब एक महीने बाद गत 7 सितम्बर से चंदलाई बांध में नहर के जरिए पानी छोड़ा गया।
इसमें प्रतिदिन बांध की दायीं नहर में चंदलाई बांध के लिए पहले 100 क्यूसेक बाद में इसे बढ़ाकर 130 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। 9 फीट है भराव क्षमता चंदलाई बांध की भराव क्षमता 9 फीट है। इसमें 5 फीट 2 इंच पानी तो बरसात से आ गया।
इसके बाद बीसलपुर से महज 8 इंच पानी ही आया है। बांध का गेज रविवार को 5 फीट 11 इंच था। इन किसानों को मिलता लाभ चंदलाई बांध के भरने से क्षेत्र के बमोर, बिचपुड़ा, बिचपुड़ी, तारण समेत आस-पास के दर्जनों गांवों की साढ़े 8 सौ हैक्टेयर भूमि में सिंचाई होती है।
चंदलाई बांध से निकल रही मुख्य नहर की लम्बाई 5 किलोमीटर है। जबकि बीसलपुर बांध से चंदलाई बांध तक आ रही नहर की लम्बाई 51.64 किलोमीटर है। इस मुख्य नहर से 218 गांवों की कुल 69 हजार 393 हैक्टेयर जमीन सिंचित होती है।
बीसलपुर की इस मुख्य नहर से राजमहल, संथली, दूनी, सांखना, दाखिया, मुगलानी, नगरफोर्ट वितरिकाएं व टोंक ब्रांच शामिल हैं। इन वितरिकाओं की कुल लम्बाई 581 किलोमीटर है। बह गया पानी क्षतिग्रस्त व कचरे से अटी नहरों के चलते पानी आगे नहीं बढ़ पाया।
पानी का दबाव 130 क्यूसेक होने पर ये आगे बढ़ा, लेकिन उसकी गति चंदलाई बांध तक काफी कम रही। साथ ही दबाव के चलते टूटी नहरों से पानी खेतों में बह गया।